डीजल कारों के अलावा ऐसे अन्य छोटे-बड़े वाहन सुबह से लेकर देर रात तक शहर में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं। रोम सिटी काउंसिल के इस फैसले से शहर में सीधे तौर पर दस लाख वाहन कम हो जाएंगे, लेकिन पर्यावरण संगठनों ने इसे देर से उठाया कदम बताया है।
रोम में यह पाबंदी सुबह 7.30 से रात 8.30 बजे तक लागू रहेगी। मिलान, तुरिन, फ्लोरेंस, पियासेंजा, पार्मा, रेगियो, एमिला, मोडेना में भी प्रदूषण को लेकर स्थानीय प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं। वाहनों पर तमाम तरह के अंकुश लगाए गए हैं। वहीं, तेल कंपनियों का कहना है कि रोम प्रशासन ने वैज्ञानिक आधार पर फैसला नहीं लिया है। कर्मचारी संगठनों के अनुसार इससे सात लाख कार ड्राइवरों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है।
भारत से कई गुना कड़े मानक इटली ने प्रदूषण के सूक्ष्म कण पीएम 10 के 50 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर पहुंचाने को खतरे की घंटी माना है। शहरों में लगातार दस दिन इस सीमा के पार जाने के बाद कारों पर पाबंदी लगा दी। जबकि भारत में पीएम 10 के 100 के स्तर को भी स्वीकार्य माना जाता है। जब यह 300-350 तक पहुंचता है, तभी भी ऐसी बड़ी कार्रवाई नहीं होती।
भारत में अप्रैल 2020 से बीएस-6 नियम देश में अप्रैल 2020 से अच्छे ईंधन के अनुरूप वाहनों के बीएस-6 नियम भी लागू होंगे। भारत में 2030 के बाद नए डीजल वाहनों के उत्पादन पर पाबंदी लगाने की भी तैयारी है। इलेक्ट्रिक वाहनों की तादाद को 33 फीसदी तक लाने का लक्ष्य है। हालांकि इस पर अभी तक कोई नीति घोषित नहीं की गई है। भारत में सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति ने अप्रैल 2020 से डीजल कारों का उत्पादन बंद करने का फैसला लिया है।
ये देश भी उठा रहे हैं कदम चीन में 2025 तक डीजल कारों के उत्पादन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। जर्मनी के कई शहरों ने अप्रैल 2019 से डीजल वाहनों पर रोक लगाई। ब्रिटेन 2040 से सभी पेट्रोल-डीजल वाहनों का उत्पादन बंद करेगा।