इन दावों और बातों को जांचने-परखने के लिए पिछले साल उनका परिवार भारत भी आया था। वो अपनी मां और दादी यानी राजमाता दोजी आंग्मो के साथ यहां आए थे। महज तीन साल की उम्र में वो नालंदा विवि में पहुंचते ही उनकी अजीबोगरीब एक्टिविटीज शुरु हो गईं। वो खुद-ब-खुद वहां की जगहों के बारे में बताने लगे।
वह खंडहर में मौजूद विभिन्न अवशेषों और संरचनाओं के बारे में बताने लगे। यहां तक कि उन्होंने यह भी बताया कि पिछले जन्म में वह किस कमरे में पढ़ाई करते थे। पहले तो उन्होंने काफी भाग-दौड़कर कमरे का भग्नावशेष खोजा। उसके बारे में जानकारी दी कि वह यहीं पढ़ते थे। उन्होंने अपना सोने वाला कमरा भी दिखाया।
आपको बता दें प्रिंस ने भूटान में जो बताया था, वहां सब कुछ वैसा ही मिला। राज माता और उनके साथ आए लोगों को स्तूप सहित कई ऐसी संरचनाएं देखने को मिली जिसके बारे में वह भूटान में बताया करता था। वहां वह एक रास्ते और ऊंची जगह के बारे में बताते थे। फिर यहां आकर उन्होंने आकर उसे भी खोज लिया। महारानी ने बताया कि भूटान में वह जो भी बताता था उसकी सारी बातें यहां सच निकल रही थी।
उन्होंने बताया कि वह भूटान में यहां आने के लिए जिद भी करते थे। वह आठवीं शताब्दी के बारे में सारी बात बताते हैं। बता दें कि राजमाता के साथ इस दौरे पर पुत्री सोनम देझेन ओंगचुक और तीन साल के नाती जिग्मी जिटेन ओंगचुक और उनके छोटे भाई सहित 16 सदस्यीय दल भी यहां आए थे।