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अपने ही देश में गुमनाम हैं ये बच्चे, पढ़ने की उम्र में सड़कों पर बेच रहे हैं सामान!

Published: Jul 13, 2017 02:42:00 pm

Submitted by:

राहुल

वर्तमान समय में विश्व एक साथ कई परेशानियों से जूझ रहा है। कई ऐसे मुद्दे सामने आ रहे हैं, जिनका समाधान आने वाले समय के लिए बहुत ज़रूरी है। आतंकवाद, बेरोजगारी, अपराध और मंहगाई इन मुद्दों में प्रमुख हैं। इन मुद्दों के बीच जो मुद्दा अक्सर सामने आ कर भी अनदेखा रह जाता है, वह है बाल श्रम…

viral photos of child labour in pakistan

viral photos of child labour in pakistan

वर्तमान समय में विश्व एक साथ कई परेशानियों से जूझ रहा है। कई ऐसे मुद्दे सामने आ रहे हैं, जिनका समाधान आने वाले समय के लिए बहुत ज़रूरी है। आतंकवाद, बेरोजगारी, अपराध और मंहगाई इन मुद्दों में प्रमुख हैं। इन मुद्दों के बीच जो मुद्दा अक्सर सामने आ कर भी अनदेखा रह जाता है, वह है ‘बाल श्रम’। हर तरह की नीतियों और योजनाओं के बाद भी हर वर्ष लाखों बच्चों का बचपन उनसे बाल श्रम की वजह से छिन जाता है। ऐसा नहीं है कि बाल मजदूर सिर्फ भारत में ही हैं। बल्कि पडोसी देश पाकिस्तान में भी आतंकवाद के साथ-साथ बाल श्रम नाम की बुराई प्रमुखता से सामने आई है।

कहने को तो भारत की तरह पाकिस्तान में भी बाल श्रम को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ का कहना है कि आज भी पाकिस्तान में लगभग एक करोड़ बच्चे जिंदा रहने के लिए मेहनत मजदूरी करने को मजबूर हैं।

पाकिस्तान के ऐसे ही कुछ बच्चों की मार्मिक कहानी सामने आई है जिससे पाक की एक और बुराई से पर्दा उठ गया है। पाकिस्तान में बच्चों की शिक्षा को लेकर कोई ख़ास रणनीतियां नहीं बनाई जाती, यहाँ तक कि पाकिस्तान सबसे ज्यादा पैसा हथियारों को खरीदने में बर्बाद करता है और उसे नाम देता है रक्षा बजट! पाक के इस रक्षा बजट के कारण न जाने कितने ही मासूम बच्चों का जीवन नर्क बनता जा रहा है और वो बचपन में ही काम करने को मजबूर हैं।

हर सुबह रेहड़ी पर बर्तन बेचने निकलता है गुलाम हुसैन-
1 Kinderarbeit in Pakistan (DW/I. Jabeen )
– गुलाम हुसैन के पिता शारीरिक रूप से अक्षम हैं, वो चल फिर नहीं सकते। 
– वह घर पर ही रह कर मिट्टी के बर्तन बनाते हैं, जिन्हें बेचने के लिए बेटा हर रोज सुबह अपनी रेहड़ी पर निकलता है। 
– कई बार दिन भर सड़कों की खाक छानने के बाद खाली हाथ घर लौटना पड़ता है।

कभी स्कूल नहीं गए सड़क पर तरबूज बेचते दो भाई-
2 Kinderarbeit in Pakistan (DW/I. Jabeen )
– इस्लामाबाद में तरबूत बेचने वाले ये दोनों भाई कभी स्कूल नहीं गए। 
– बड़े भाई लियाकत बेग को एक दिन के पांच सौ और छोटे भाई मंसूर बेग को दो सौ रुपये मिलते हैं। 
– वे तरबूत बेचें या कोई और फल, उन्हें अपनी रोजी रोटी कमाने के अलावा किसी और चीज का होश नहीं। 
– लियाकत का कहना है कि दोनों भाइयों की कमाई से ही उनका घर चलता है।

पिछले 4 सालों से काम कर रहा है 12 साल का बच्चा-
6 Kinderarbeit in Pakistan (DW/I. Jabeen )
– इस बच्चे का नाम है जावेद चौधरी, जो इस्लामाबाद में जूते की एक दुकान पर सेल्स बॉय का काम का काम करता है। 
– जावेद की उम्र अभी महज 12 साल है लेकिन वो पिछले 4 साल से इस दूकान में सेल्स बॉय का काम कर रहा है।
– उसके पिता का काफी समय पहले निधन हो चुका है और मां अलग अलग घरों में काम करती है।
8 Kinderarbeit in Pakistan (DW/I. Jabeen )
सात साल का वकास अहमद रावलपिंडी के राजा बाजार में रहता है और वहीं एक स्टॉल पर रेडीमेड कपड़े बेचता है। ग्राहकों को बुलाने के लिए वह “हर सूट 100 रुपये” की आवाजें लगाता है। 
9 Kinderarbeit in Pakistan (DW/I. Jabeen )
इस तरह के न जाने कितने नाम पाकिस्तान में गुमनाम हैं जो अपनी ज़िंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान को दुनिया में और भारत में आतंकवाद फैलाने से फुर्सत नहीं है।
3 Kinderarbeit in Pakistan (DW/I. Jabeen )
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