जापान के प्राइमरी, मिडिल और हायर सेकेंडरी में पढऩे वाले बच्चों में आत्महत्या की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वैसे एक बात और जो गौर करने वाली है वह यह कि जापान में आत्महत्या एक अहम मुद्दा रहा है। यहां बीते कई वर्षों से स्कूली बच्चों की आत्महत्या चिंता का सबब बनी हुई है। जापान के शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2019 में 339 स्कूली बच्चों ने अपनी जान ली थी। इसके बाद वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 479 तक पहुंच गया। इससे अब विशेषज्ञ तो हैरान हैं ही, यह मामला जांच में भी शामिल हो गया है कि कहीं इन बढ़ती आत्महत्याओं की वजह कोरोना महामारी तो नहीं।
चौंकाने वाली बात यह है कि आत्महत्या करने वालों में लड़कियों की संख्या अधिक है और वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में यह दोगुनी होकर 138 तक पहुंच गई। इन हालातों में मंत्रालय जांच करा रहा है, जिससे स्पष्ट हो सके कि छात्र-छात्राओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढऩे की मूल वजह क्या हो सकती है। इसके अलावा हैरान करने वाली बात यह भी है कि आत्महत्या करने वालों में हायर सेेेकेंडरी के बच्चे ज्यादा है। वर्ष 2020 में प्राइमरी में 14 बच्चों ने आत्महत्या की, जबकि उससे पहले वर्ष 2019 में यह सिर्फ 6 थी। वहीं, मिडिल में वर्ष 2019 में 96 बच्चों ने आत्महत्या की, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 136 हो गया। इसके अलावा, हायर सेकेंडरी में वर्ष 2019 में यह आंकड़ा 237 था, जबकि वर्ष 2020 में यह 329 हो गया।