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जलवायु परिवर्तन: दुनिया पर मंडाराया खतरा, लोगों से मीट कम खाने की अपील

Published: Nov 26, 2019 04:00:02 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

153 देशों के 11 हजार वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार की रिपोर्ट
कम मीट का इस्तेमाल होने से मिथेन और ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आएगी

clmate change

नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन के खतरों को लेकर पूरी दुनिया हाई अलर्ट पर है। इस पर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। इंडिपेंडेंट में प्रकाशित खबर के अनुसार वैज्ञानिकों ने दुनिया में लोगों कम मीट खाने का आग्रह किया है। वैज्ञानिकों ने इस समय को क्लाइमेट इमर्जेंसी करार दिया है। अमरीका ने हाल ही में क्लाइमेंट चेंज को लेकर पेरिस समझौते से खुद को अलग कर लिया है। इसकी चारो तरफ निंदा हो रही है।

11 हजार वैज्ञानिकों ने तैयार की रिपोर्ट

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विश्व भर के वैज्ञानिकों ने छह सूत्रीय कार्यक्रम पेश किया है। इस रिपोर्ट को 153 देशों के 11 हजार वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है। इन वैज्ञानिकों ने करीब 40 साल का डेटा का अध्ययन कर रिपार्ट तैयार की है।

फल और सब्जी खाने की अपील

इस रिपोर्ट में विश्वभर के लोगों से ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जी खाने को कहा गया है। मीट को कम खाने की अपील की गई है। कम मीट का इस्तेमाल होने से मिथेन और ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आएगी। वैज्ञानिकों ने खाने को भी कम से कम बर्बाद करने की अपील की है। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब एक तिहाई खाना पूरे विश्व में बर्बाद होता है।

मीट और डेयरी प्रॉडक्ट के गंभीर परिणाम

2018 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से एक अध्ययन के आधार पर कहा गया था कि अगर लोग मांसाहारी की जगह शाकाहारी हो जाएं तो इस गंभीर चुनौती को नियंत्रित कर सकेंगे। अगर कोई मीट और डेयरी प्रॉडक्ट खाना छोड़ दे,तो वह 73 फीसदी कम कॉर्बन का उत्सर्जन करेगा।

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