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ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने की बीमार शरणार्थी विधेयक पर रोक लगाने की मांग, संसद में होना है मतदान

Published: Feb 12, 2019 12:21:00 pm

Submitted by:

Shweta Singh

मॉरिसन ने दावा किया कि विधेयक पारित होने पर सरकार से नियंत्रण ले लेगा और एक दुखी देश की ओर अग्रसर करेगा।

Scott Morrison appeals against asylum seeker medivac bill

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने की बीमार शरणार्थी विधेयक पर रोक लगाने की मांग, संसद में होना है मतदान

कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को एक विधेयक पर रोक लगाने का प्रचार किया। अपतटीय केंद्रों में बीमार शरणार्थियों को देश में इलाज कराने की इजाजत से संबंधित इस बिल को लेकर अब ऑस्ट्रेलियाई संसद में मंगलवार को मतदान हो सकता है। बिल रोक की मांग करते हुए मॉरिसन ने दावा किया कि विधेयक पारित होने पर सरकार से नियंत्रण ले लेगा और एक दुखी देश की ओर अग्रसर करेगा।

देश की कठोर आव्रजन नीति की आलोचना

ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार ने मॉरिसन के हवाले से कहा, ‘विधेयक के साथ समस्या यह है कि वह सरकार से नियंत्रण ले लेता है और ऐसे लोंगों से करार करता है जिनकी वैसी दिलचस्पी या जिम्मेदारी नहीं होती है।’ आपको बता दें कि नौरु और मानुस द्वीपसमूह स्थित हिरासत केंद्रों पर नावों से आए शरणार्थियों को ऑस्ट्रेलिया ने भेज दिया है। नौरु के हिरासत केंद्र पर बच्चों और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और यातना के काफी आरोप लगे हैं। यही वजह है कि देश की कठोर आव्रजन नीति की लगातार आलोचना होती रही है।

पिछले साल पारित हो चुका है ये प्रस्ताव

बीते साल विपक्षी लेबर पार्टी के समर्थन ये प्रस्ताव सेनेट में पारित हो चुका है। इसकी आलोचना करते हुए मॉरिसन ने कहा कि इससे सुमद्र में होने वाली मौतों की संख्या बढ़ेगी। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘वे किससे खेल रहे हैं, उन्हें इसके परिमाणों का अंदाजा ही नहीं है। ये फिर से विषाद की एक दुनिया बनाएंगे।’ मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि प्रस्तावित बदलाव के अंतर्गत चिकित्सकों के पास शरणार्थियों को इलाज के लिए नौरु और मानुस से ऑस्ट्रेलिया भेजने का अधिकार होगा। हालांकि इसके बाद भी आव्रजन मंत्री एक स्वतंत्र पैनल से चिकित्सा की समीक्षा करने के लिए कह सकते है और उनके पास इसे खत्म करने का अधिकार होगा।

रक्षा मंत्री ने भी जताया विरोध

प्रधानमंत्री के अलावा रक्षा मंत्री क्रिस्टोफर पेन ने भी इस विधेयक का विरोध किया है। दूसरी ओर इस बीच हजारों चिकित्सकों ने विधेयक को पारित करने के लिए एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने इसे एक समझदारी भरा समाधान करार दिया, जो चिकित्सकों को अपने मरीजों के इलाज की इजाजत देगा जो नौरु और मानुस पर उपलब्ध नहीं है।

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