scriptयह तस्वीर इंसानियत की नाकामी और अपराधियों की जीत का आईना है, सच्चाई जानकर आपकी आंखें डबडबा जायेंगी | see the photo of biggest tragedy how toddlers struggling in syria | Patrika News

यह तस्वीर इंसानियत की नाकामी और अपराधियों की जीत का आईना है, सच्चाई जानकर आपकी आंखें डबडबा जायेंगी

Published: Nov 27, 2017 10:06:55 am

Submitted by:

राहुल

सियासत जिनका मज़हब हो उनके लिए मासूमों के दर्द क्या और दास्तां क्या?

biggest tragedy how toddlers struggling in syria
नई दिल्ली: सीरिया के कई शहर भयानक तबाही के मंजर का सबसे बड़े गवाह बने हैं। खासतौर पर सीरिया में सबसे ज्यादा तबाही अलेप्पो शहर में देखने को मिली है। अलेप्पो शहर हमारी दुनिया में इंसानियत की नाकामी और अपराधियों की जीत का आईना है। हम यह कभी नहीं भूल सकते दुनिया के इन जीते जागते हैवानों ने सीरिया में बस दो ही रास्ते छोड़े हैं- या तो सभी की तरह सामूहिक मौत मर जाओ या सभी के साथ सामूहिक विस्थापन कर जाओ। यह कहना हर उस अमन पसंद सीरियाई का है जिसके सर पर मौत खड़ी है लेकिन वो फिर भी अपने परिवार के साथ ज़िंदगी जीना चाहता है।
टीवी स्क्रीन्स पर गोला, बारूद, आग, धूल के गुबार हक़ीकत के कम और हॉलीवुड फ़िल्मों के दृश्यों के ज़्यादा क़रीब लग रहे हैं वैसे अब तो ख़ून से सने बच्चों की इतनी तस्वीरें सामने आ चुकी हैं कि दुनिया ने भी संवेदनाएं दिखाना छोड़ दिया है।
आप ये जो दो बच्चों की बेबस और लाचार तस्वीर देख पा रहे हैं इन्हें देखकर भले ही दुनिया की आंखें डबडबा गईं हों, पर सियासत जिनका मज़हब हो उनके लिए मासूमों के दर्द क्या और दास्तां क्या? दुनिया से कट चुके सीरिया के इस हिस्से से यह तस्वीर पल-पल का दर्द बयां कर रही है जिसपर दुनिया भर की नज़र जा रही है, लेकिन जिसकी जानी चाहिए वही बेख़बर है।
इस तस्वीर की सच्चाई जानकर अच्छे अच्छे फन्नेखांओं की आँखों से आंसू ऐसे टपक पड़ेंगे कि जैसे किसी ने नदी का पानी छोड़ दिया हो। लेकिन इस सब से बेखबर ये दोनों बच्चे सिर्फ इन हालातों को जैसे अपनी नजरों में उतार लेना चाहता था, चुपचाप सहमा हुआ। यह तस्वीर दो भाइयों की है जो सीरिया के अलेप्पो शहर के ही रहने वाले हैं। आप तस्वीर में जिन दो बच्चों को देख पा रहे हैं वो दरअसल भाई बहन हैं। हालांकि यह तस्वीर किस तारीख की है यह कह पाना मुश्किल है लेकिन यह तस्वीर उस वक्त की है जब सीरिया में गोलीबारी के दौरान यह बड़ा भाई अपनी मासूम बहन को बचाने की कोशिश कर रहा था।
बदहवास था, खून से सना हुआ था, शरीर पर लिपटी हुई घर की मिट्टी लोगों से सवाल पूछ रही थी कि इस मासूम की क्या खता थी?

सीरिया की खबरें कई अख़बारों की हैडलाइन बनी हैं और बन रही हैं। ख़बरों में मौतों के जो आंकड़े बताए जा रहे हैं उन पर विश्वास करना ऐसा लग रहा है जैसे ईकाई-दहाई के जोड़ को ठीक से पढ़ नहीं पा रहे हों। साल 2015 और 2016 में जो आंकड़े सामने आये उनके अनुसार सीरिया के क़रीब 5 लाख ज्यादा बच्चे जंग-ए-मैदान जैसे हालातों में अपना बचपन गुज़ारने को मजबूर हैं। एक तरफ आतंकी संगठन IS और दूसरी तरफ गृहयुद्ध, अब ये जाएं तो कहाँ जाएं?
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो