अदालत में इजरायल की ईआई का तर्क
आपको बता दें कि इजरायल की विमान सेवा कंपनी ईआईएआई ने कोर्ट में अपील दायर करते हुए यह तर्क दिया है कि वह इस तरह के फैसले से आपसी प्रतिद्वंदिता का शिकार हो जाएगी और एयर इंडिया को सऊदी अरब के रास्ते तेल अवीव पहुंचने में कम समय लगेगा। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की सऊदी अरब दौरे के बाद एयर इंडिया को तेल अवीव तक की सीधी उड़ान भरने के लिए एयरस्पेस का प्रयोग करने की मंजूरी दे दी है। हालांकि सऊदी अरब ने इजरायल के लिए एयरस्पेस का नियम नहीं बदला है। लिहाजा एयर इंडिया की फ्लाइट नई दिल्ली से तेल अवीव सऊदी के रास्ते पहुंचती है लेकिन इजरायल की ईआईएआई फ्लाइट को तेल अवीव से नई दिल्ली आने के लिए लाल सागर और अरब सागर से गुजरना पड़ता है। इस दौरान इजरायल की विमान को नई दिल्ली पहुंचने में 9 घंटे का समय लगता है। बता दें कि इजरायल की एयरलाइंस को ईरान में भी एयरस्पेस का प्रयोग करने की इजाजत नहीं है। सऊदी अरब ने 70 साल पहले इजराइल की विमान को सऊदी के आसमान का उपयोग करने पर बैन लगा दिया था। इजराइल एक ऐसा देश है जिसे सऊदी अरब और अन्य अरब देश मान्यता नहीं देते हैं, और न हीं राजनियिक संबंध नहीं है।
इजरायल जाने वाले विमान सऊदी अरब के ऊपर से भर सकेंगे उड़ान , दिल्ली से शुरू हुई सीधी सेवा
22 मार्च को शुरू हुई थी दोनों देशों के बीच सीधी विमान सेवा
आपको बता दें कि इस मामले को लेकर इजरायल की एयरलायंस ईआईएआई ने सरकार, सिविल एविएशन, प्रधानमंत्री बेजामिन नेतिन्याहू, परिवहन मंत्री और नई दिल्ली में एयर इंडिया को नोटिस भेजा है। इजरायल के एयरलायंस ने सरकार से पूछा है कि आखिर इतना नुकसान क्यों पहुंचाया जा रहा है। आज भारत को यह सुविधा प्रदान की गई है, कल हो सकता है कि यह सुविधा थाइलैंड और फिर पूर्व के सभी देशों को दे दी जाएगी। कंपनी ने कहा कि सरकार के इस फैसले से 6,000 कर्मचारियों पर बुरा असर पड़ रहा है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक इजरायल दौरे के बाद 22 मार्च 2018 से नई दिल्ली से तेल अवीव के लिए सीधी उडान सेवा शुरू की गई थी। इरायल के प्रधानमंत्री नेतिन्याहू ने दोनों देशों के बीच सीधी उडान सेवा को ऐतिहासिक शुरूआत बताया था।