कहा जाता है, बच्चे मां-बाप से आंखें फेर सकते हैं, लेकिन मां-बाप नहीं। लेकिन इसके उलट बच्चों से नाता तोड़ने वाले पैरंट्स की तादाद खासी बढ़ती जा रही
कोई जाकर जरा उस बच्ची से पूछे कि आखिर उसकी गलती क्या थी जो उसके मां-बाप ने उसे बेसहारा किसी और के दरवाजे पर छोड़ गए, अगर पालन नहीं कर सकते थे तो पैदा ही क्यों किया? जी हां! कुछ इसी तरह के विचार इस बच्ची के दिल में हमेशा दस्तक देते होंगे, जब यह बच्ची हर दिन अपने माता-पिता के लौट आने की राह देखती है!
कहा जाता है, बच्चे मां-बाप से आंखें फेर सकते हैं, लेकिन मां-बाप नहीं। लेकिन इधर इसके उलट बच्चों से नाता तोड़ने वाले पैरंट्स की तादाद खासी बढ़ती जा रही है। सवाल यह है कि आखिर ऐसी क्या वजहें हैं, जो जिगर के टुकड़ों से कुछ माता-पिता को नाता तोड़ने का बड़ा फैसला करना पड़ रहा है?
चीन के बीजिंग शहर का यह मामला कुछ ऐसी ही तस्दीक कर रहा है और चीख-चीख कर यह सवाल पूछ रहा है कि इस बच्ची की गलती क्या थी? बीजिंग में रहने वाली यांग जिऊजिया उस वक्त 1 महीने की रही होगी जब उसके मां-बाप उसे पड़ोसी के दरवाजे पर छोड़ गए थे। आंख खुलीं, दुनिया को देखा लेकिन उसे कभी अपने माता-पिता नजर नहीं आये, उसने आज तक अपने पेरेंट्स को नहीं देखा, लेकिन उन्हें याद हर रोज करती है।
पड़ोसियों ने इस बच्ची को माओ नाम दिया है। माओ जब एक महीने की थी तब किसी बीमारी से पीड़ित थी। इसी वजह से उसके मां-बाप उसे पडोसी के दरवाजे पर छोड़ कर चले गए थे। इसके बाद पडोसी ने ही बच्ची की देखभाल की लेकिन वो देखभाल तो कर सकते हैं बस उसके मां-बाप नहीं बन सकते। इसलिए माओ आज भी उन्हें बेहद याद करती है।
उसने मां-बाप को ढंढूने के लिए एक तरीका खोजा है। करीब 4 साल से वो सड़कों के किनारे, गली-गली घूम कर सब्जी बेचती है। इस दौरान उसके हाथ में एक तख्ती भी होती है जिस पर लिखा है- “मां-पापा, आप कहां हो? जिस वक्त आप मुझे छोड़ कर गये थे तब मैं बीमार थी। लेकिन अब तो मैं ठीक हो गई हूं और आपका इंतजार कर रही हूं। अब आकर मुझे साथ ले चलो। मेरे लिए यहां कहीं घर नहीं है। मैं आपको और अपने घर को बहुत याद करती हूं।
माओ को पालने वाले शख्स भी उसके लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं, वो एक रिटायर डॉक्टर हैं। वो कहते हैं कि उन्होंने उसे अपनी पोती के जैसे पाला है। अब वो बीमार नहीं है और पूरी तरह से ठीक हो चुकी है।