दरअसल, अतंरिक्ष से हमारी धरती की ओर तेज गति के साथ भीषण और शक्तिशाली सौर तूफान (Solar Storm) चला आ रहा है। बताया जा रहा है कि इसकी रफ्तार 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे (1609344 km/h) है और आगे अधिक बढ़ सकती है। यह तूफान सूरज की सतह से उठा है।
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वैज्ञानिकों के अनुसार, अनुमान है कि यह सौर तूफान आज या कल (रविवार या सोमवार) धरती की सतह से टकरा सकता है। किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए वैज्ञानिकों ने अलर्ट जारी किया है। वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट सिग्नलों और विमानों की उड़ानों को लेकर चेतावनी जारी की है।
दुनियाभर में गुल हो सकती है बिजली
स्पेसवेदर डॉट कॉम वेबसाइट की ओर से इस भीषण और शक्तिशाली सौर तूफान की जानकारी साझा की गई है। इसमें बताया गया है कि यहसौर तूफान सूरज के वायुमंडल से पैदा हुआ है। इसकी चुंबकीय शक्ति की वजह से पृथ्वी की चुंबकीय क्षेत्र के प्रभुत्व वाले अंतरिक्ष में काफी प्रभाव देखने को मिल सकता है।
बताया जा रहा है कि इस सौर तूफान की वजह से पूरी दुनिया में बिजली गुल हो सकती है। मोबाइल, टीवी, रेडियो आदि तमाम इलेक्ट्रोनिक उपकरण काम करना बंद कर देंगे। यही कारण है कि वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है और कहा है कि जरूरी न हो तो विमान यात्रा न करें, क्योंकि इस शक्तिशाली सौर तूफान का असर विमानों की उड़ान, रेडियो सिग्नल, कम्यूनिकेशन और मौसम पर भी देखने को मिल सकता है।
उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर दिखेगी तेज रौशनी
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस सौर तूफान की वजब से पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर रहने वाले लोगों को रात में सुंदर अरोरा (बेहद चमकीली रोशनी) दिख सकता है। इस सौर तूफान के खतरे को देखते हुए अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने भी चेतावनी जारी की है।
सूरज की सतह पर छाई खामोशी से मची खलबली, वैज्ञानिकों ने दी सौर तूफान की चेतावनी
नासा ने बताया है कि इस सौर तूफान की गति 16 लाख किमी प्रति घंटे से भी अधिक हो सकती है। ऐसे में यदि पृथ्वी की सतह से यह शक्तिशाली भीषण तूफान टकराता है तो धरती हर शहर में बिजली गुल हो सकती है। इतना ही नहीं, पावर लाइंस में करंट की क्षमता भी बढ़ सकती है, जिससे ट्रांसफार्मर्स या अन्य उपकरण ब्लास्ट हो सकते हैं। हालांकि, ऐसा होने की संभावना कम है, क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ एक सुरक्षा कवच का काम करता है।
पहले भी आ चुका है ऐसा महातूफान
आपको बता दें कि इससे पहले भी आसमान से ऐसा महातूफान आ चुका है। 1582 में ऐसा ही एक तूफान आया था, जिससे लोगों को लगा था कि दुनिया अब खत्म हो जाएगी। पुर्तगाल के लेखक सोआरेस ने लिखा है, ‘उत्तरी आसमान में हर तरफ तीन रातों तक बस आग ही आग दिखाई दे रही थी,आकाश का हर हिस्सा ऐसा लग रहा था जैसे मानो आग की लपटों में तब्दील हो गया हो।’ उन्होंने लिखा है, ‘मध्यरात्रि को किले के ऊपर एक भयानक आग की किरणें उभरकर सामने आईं जो बहुत भयानक और डरावनी थी।
इसके बाद, 1859 में भी जिओमैग्नेटिक तूफान आया था। इस तूफान ने यूरोप और अमरीका में टेलिग्राफ नेटवर्क को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था। वहीं 1989 में भी ऐसा ही सौर तूफान कनाडा में आया था। इसकी वजह से कनाडा के क्यूबेक शहर में 12 घंटे तक बिजली गुल हो गई थी। लाखों लोग घबरा गए थे और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा था।