scriptमेडिकल साइंस को धता बताकर 76 साल तक जिए स्टीफन हॉकिंग | Stephen Hawking survived for 76 years | Patrika News

मेडिकल साइंस को धता बताकर 76 साल तक जिए स्टीफन हॉकिंग

locationनई दिल्लीPublished: Mar 14, 2018 12:02:39 pm

Submitted by:

Mohit sharma

हॉकिंग ने भले ही अपनी बीमारी को खुद पर हावी नहीं होने दिया लेकिन मेडिकल साइंस की माने तो इस बीमारी का सच बेहद भयावह है।

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नई दिल्ली। ईश्वर के अस्तित्व को न मानने स्टीफन हॉकिंग का आज निधन हो गया। हॉकिंग की जिंदगी पर अगर नजर डाले तो वो विल पॉवर यानि इच्छा-शक्ति का जीता जागता उदाहरण थे, क्योंकि हॉकिंग को मोटर न्यूरॉन डिसीज नाम की बीमारी थी। 21 साल की उम्र में जब हॉकिंस मोटर न्यूरॉन बीमारी के शिकार हुए और डॉक्टरों ने कहा कि उनके जीवन के सिर्फ दो साल बचे हैं तब हार मानने के बज़ाय अपनी विलपॉवर से उन्होने पूरी दुनिया को अपने कदमों में झुका दिया। हॉकिंग ने भले ही अपनी बीमारी को खुद पर हावी नहीं होने दिया लेकिन मेडिकल साइंस की माने तो इस बीमारी का सच बेहद भयावह है।

मोटर न्यूरॉन के लक्षण–
मोटर न्यूरॉन एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी में शरीर की नसों पर लगातार हमला होता रहता है और धीरे-धीरे शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं, और इंसान की आवाज लड़खड़ाने लगती है और वो चलने-फिरने में अक्षम हो जाता है और अंत में मरीज की मौत हो जाती है। हॉकिंस के साथ भी लगभग ऐसा ही हुआ उनके अंगों ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया और वो एक जिंदा लाश बनकर रह गए, लेकिन अपनी इच्छाशक्ति के कारण उन्होने रिसर्च जारी रखा। हॉकिंस ने एक बार कहा था कि ” पिछले 49 साल से मै अपनी मौत का अनुमान लगा रहा हूं, लेकिन मै मौत से डरता नहीं हूं बस मुझे मौत से पहले बहुत सारे काम करने हैं।”

जीन्स के कारण होती है ये बीमारी

पूरी दुनिया में 5 प्रतिशत लोग इस बीमारी के शिकार हैं, और इस बीमारी का मुख्य कारण वंशानुगत होता है। यानि अगर किसी के परिवार में कोई मोटर न्यूरॉन से ग्रस्त है तो आने वाली पीढ़ी में भी ये बीमारी हो सकती है। इसके साथ ही फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया से ग्रस्त लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।

पुरूष होते हैं ज्यादातर शिकार-
महिलाओं की तुलना में पुरूष इस बीमारी के ज्यादा शिकार होते हैं।

उपचार-
मोटर न्यूरॉन का डॉयग्नोसिस तो संभव है लेकिन अभी तक इस बीमारी का इलाज नहीं ढूढा जा सका है। लेकिन बीमारी के प्रभाव को उपचार से कुछ कम किया जा सकता है जैसे सांस लेने में दिक्त होने पर ब्रीदिंग मास्क और खाने निगलने की दिक्कत होने पर फीडिंग ट्यूब का इसतेमाल किया जा सकता है।

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