इन्हें डच, अंग्रेजी, फ्रेंच, इतालवी, लैटिन और स्पेनिश में लिखा गया था। अज्ञात कारणों से यह वांछित लोगों तक नहीं पहुंचकर पोस्टमास्टर साइमन डे ब्रूनेनी के पास रह गए। इनमें से कुछ 600 साल से ज्यादा पुराने हो सकते हैं। बड़ी चुतराई से इन्हें लेटरलॉक किया गया है।
यह तकनीक आई काम-
लेटरलॉक खतों की परतों को खोलने के लिए लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी (क्यूएमयू) की डेन्टल लैब में अनुसंधानकर्ताओं ने एक्स-रे माइक्रोटोमोग्राफी स्कैनर की मदद ली। यह दांतों के सूक्ष्म अध्ययन में काम आता है। एक्स-रे स्कैन छवियों से शोधकर्ताओं ने डिजिटल 3डी स्ट्रक्चर बनाए। फिर कम्प्यूटराइज्ड एल्गोरिदम बनाकर 300 साल से ज्यादा पुराने खत को पढ़ा गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह असाधारण एल्गोरिदम बंद खत के दिल में ले जाने वाला है।
सामने आई मन की बात-
वैज्ञानिकों ने डिजिटल रूप में ४ खतों को खोला। एक खत डी1627, 31 जुलाई 1697 में जैक्स सेनेकस ने द हेग निवासी चचेरे भाई पियरे को लिखा था। उसने १ रिश्तेदार कामृत्यु प्रमाण पत्र मांगा व परिवार का हाल जाना।
स्कैनर ने की मदद-
स्कैनर दांतों के अध्ययन के लिए बना था। इसकी संवेदनशीलता ने कागजों में बंद बातों का खुलासा कर दिखाया।
– प्रो ग्राहम डेविस, क्यूएमयू