एक कार्यक्रम में बोलते हुए मलाला यूसुफजई ने कहा कि लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखने के तालिबान के सारे प्रयास उनपर गोली चलाने की घटना से ही विफल हुए। लास वेगस में प्रौद्योगिकी क्षेत्र के पेशेवरों को संबोधित करते हुए कहा, “इसका ही नतीजा है कि आज दुनियाभर में लाखों लोग खुलकर बोल रहे हैं और लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखने वाली ताकतों का विरोध कर रहे हैं।” वीएमवर्ल्ड 2018 सम्मेलन में मलाला को दुनियाभर में लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाने के अपने अनभवों को साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया था। बता दें कि तालिबान के स्कूल न जाने के फरमान को मानने से इनकार कर देने पर 2012 में मलाला के सिर में गोली मार दी गई थी।
पाकिस्तान की स्वात घाटी में पैदा हुई मलाला ने कहा कि वह अब सामान्य जिदगी बसर कर रही रही हैं। मलाला ने कहा कि वह खुदकिस्मत हैं कि उनके परिवार को उनके ऊपर काफी विश्वास है और के पिता ने कभी की पढाई लिखाई को लेकर रोड़े नहीं अटकाए। अपने अनुभव बताते हुए मलाला ने कहा, “उस वक्त हमें नहीं लगता था कि तालिबान जैसी कोई चीज हो सकती है, जैसा कि आपको आज लगता है कि कोई बंदूक के बल पर आपसे शिक्षा का अधिकार छीन सकता है।” मलाला ने कहा कि उनकी लड़ाई तालिबानी मानसिकता वालों के खिलाफ है, जो लड़कियों की शिक्षा के विरोधी हैं और उन्हें अकेले घर से निकलने की अनुमति नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “तालिबानी शिक्षा के विरोधी हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि शिक्षा से महिलाओं का सशक्तिकरण होगा, जिससे उनको आजादी मिलेगी।”
मलाला को उनके साहस और तालिबानी राजनीति के विरुद्ध आवाज का प्रतीक बनने के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।मलाला ने कहा कि इस्लाम दया, सहनशीलता और अमन की शिक्षा देता है, इसके विपरीत कुछ लोग इस्लाम की गलत व्याख्या कर बन्दूक उठा लेते हैं। मलाला ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि उस व्यक्ति को शिक्षा मिलेगी तो वह धर्म के सच्चे अर्थ को समझ पाएगा। वह क्रोध नहीं पालना चाहती थीं। उन्होंने कहा, “नफरत और गुस्सा से ऊर्जा की बर्बादी होती है और मैं अपनी ऊर्जा को बेकार जाने नहीं देना चाहती थी।” इसलिए उन्होंने अपने ऊपर हमला करने वाले व्यक्ति को माफ कर दिया।
मलाला ने कहा कि उनके जीवन का मकसद दुनियाभर में लड़कियां शिक्षा का प्रचार करना है। वह इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने फाउंडेशन के माध्यम से कई देशों में काम कर रही हैं।