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दोस्त ने दी थी तारिषि के लिए जान, आज होगा अंतिम संस्कार

Published: Jul 04, 2016 11:19:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

आतंकियों ने फराज को बांग्लादेशी होने की वजह से जाने को कहा था, लेकिन उसने तारिषि का साथ नहीं छोड़ा

Tarishi Jain

Tarishi Jain

नई दिल्ली। बांग्लादेश की राजधानी ढाका के गुलशन राजनयिक इलाके के एक रेस्त्रां में हुए आतंकी हमले में अपनी जान गंवाने वाली 19 साल की भारतीय लड़की तारिषि का आज गुडग़ांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा। तारिषि की पार्थिव देह को आज ढाका से दिल्ली लाया जाएगा।

वहीं इस मामले में एक नई जानकारी सामने आई है। तारिषि आतंकी हमले के दौरान रेस्टोरेंट में अपने दो दोस्तों अंबिता कबीर और फराज हुसैन के साथ थीं। आतंकियों ने फराज को बांग्लादेशी होने की वजह से जाने को कहा था, लेकिन उसने तारिषि का साथ नहीं छोड़ा। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि हमलावरों लोगों की पहचान पूछकर मार रहे थे। उन्होंने फराज को जाने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं गया। बता दें कि 19 साल की तारिषि भारतीय मूल की थी। जबकि 19 साल की अंबिता बांग्लादेशी थी, लेकिन वह यूएस में पढ़ रही थीं। आतंकियों ने फराज से दोनों की आइडेंडिटी पूछी। उसने बताया कि एक भारतीय और एक अमरीकी है। इसके बाद आतंकियों ने दोनों की हत्या करने की तैयारी कर ली, लेकिन फराज से कहा कि वह जा सकता है। हालांकि फराज ने दोनों का साथ नहीं छोड़ा।

वहीं तारिषि के परिजनों ने बताया कि तारिषि जैन की बॉडी को दिल्ली पहुंचने के बाद यहां तक आने में काफी देरी हो जाएगी, इसलिए ढाका से उसका शव दिल्ली पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार गुडगांव में किया जाएगा। तारिषि के पिता संजीव जैन, मां तुलिका जैन और भाई संचित जैन ढाका में ही रहते हैं।

आखिरी फोन कॉल में क्या कहा था तारिषि ने
तारिषि उस रात करीब डेढ़ बजे घरवालों से बात की थी। उसने बताया था कि गोलीबारी हो रही है और चारों ओर चीख पुकार मची है। उसने कहा था, हेलो! अंकल, मैं यहां दोस्तों के साथ रेस्त्रां में आई थी, लेकिन आतंकवादियों ने हमला कर दिया। हर तरफ चीख पुकार मची है। गोलियां चल रही हैं..धमाके हो रहे हैं। जान बचाने के लिए मैं यहां टॉयलेट में आकर छुप गई हूं। समझ में नहीं आ रहा क्या हो गया…क्या करूं। इसके बाद परिवार ने कई बार फोन किए, लेकिन रिसीव नहीं हुआ।

जिसने कुरान की आयतें नहीं सुनाई, उसे मार दिया
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हथियारबंद आतंकवादी अल्लाहू अकबर का नारा लगाते हुए रेस्तरां में घुसे और घुसते ही उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। रेस्तरां में काम करने वाले सुमन रेजा ने बताया कि जैसे ही हमलावर रेस्तरां में घुसे वह बाहर भागकर बच निकले। बंधकों से कुरान की आयतें सुनाने के लिए कहा जा रहा था और जिन बंधकों ने कुरान की आयतें सुनाईं, उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया गया।

बंधकों में शामिल हसनत करीम के पिता रियाजुल करीम के हवाले से डेली स्टार ने कहा कि अन्य बंधकों को हमलावरों ने प्रताडि़त किया। रियाजुल अपनी 13 वर्षीय बेटी का जन्मदिन मनाने के लिए अपनी पत्नी और आठ वर्षीय बेटे रायन के साथ रेस्तरां में थे। बता दें कि आतंकियों ने, जो आयतें सुना पाए, ऐसे 18 लोगों को छोड़ दिया। बाद में 20 लोगों को धारदार हथियारों से मार डाला। बाकी सभी विदेशी थे। ज्यादातर इटली और जापान के थे। हमले के 10 घंटे बाद 100 कमांडोज ने आईएस के 9 में से 6 आतंकियों को मार गिराया। एक मौके से ही पकड़ा गया। 2 की तलाश जारी है।

गौरतलब है कि बांग्लादेश में आतंकवादियों द्वारा विदेशी नागरिकों को बंधक बनाए जाने की यह पहली घटना है। हालांकि बीते कुछ समय से आईएस और अल-कायदा से संबद्ध आतंकवादियों द्वारा बांग्लादेश में लगातार उदारवादी विचारकों, लेखकों, कार्यकर्ताओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। हमले से कुछ ही घंटे पहले शुक्रवार को बांग्लादेश में एक हिंदू पुजारी की हत्या कर दी गई थी।

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