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OMG : पाकिस्तान में सोशल मीडिया ने बढ़ा दी एड्स पीड़ितों की संख्या

locationनई दिल्लीPublished: Dec 01, 2017 07:14:43 pm

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

विशेषज्ञों का दावा है कि यौन साझेदारों को खोजने के लिए ऐप और सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है।

HIV rates in Pakistan

HIV rates in Pakistan

तकनीकी विकास ने हालांकि कई देशों में एचआईवी और एड्स के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया है, लेकिन पाकिस्तान में युवाओं के बीच इससे एचआईवी संक्रमण में वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने इस बारे में चेताया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल ऐप और सोशल मीडिया ने इस दक्षिण एशियाई रूढ़िवादी देश में जहां सामाजिक मेल-मिलाप के नए अवसर प्रदान किए हैं वहीं विशेष रूप से समलैंगिक पुरुष और पुरुष यौनकर्मियों को भी यौनमुक्ति के मौके प्रदान किए हैं। यानी तकनीक ने उनके रूढ़ीवादी समाज में अपना अपना पार्टनर खोजने की सुविधा प्रदान की। लेकिन इससे उनमें अज्ञानतावश एचआईवी वायरस फैलने का खतरा भी कई गुना बढ़ गया।
ताजा आंकलन के अनुसार…
पिछले दस साल में पाकिस्तान में एचआईवी पीड़ितों की संख्या में वृद्धि हुई है। एक ताजा आंकलन के अनुसार- 2005 में पाकिस्तान में जहां केवल 8360 लोग एचआईवी से पीड़ित थे, वहीं 2015 ये ये संख्या नाटकीय रूप से 46000 का आंकड़ा पार कर गई। दुनिया के आंकड़ों से तुलना करें, तो ये प्रति वर्ष 2.2 फीसदी के मुकाबले 17.6 फीसदी बनती है। आंकलन के अनुसार, ये संख्या इससे भी कहीं ज्यादा हो सकती है।
आसानी से मिलने लगे हैं मेल पार्टनर
पाकिस्तान में एड्स कंट्रोल प्रोग्राम के एक वरिष्ठ अधिकारी सोफिया फुरकान के अनुसार- पाकिस्तान में लड़कों और पुरुषों में एचआईवी के केसों में वृद्धि हुई है। पाया गया है कि तकनीकी विकास, ससते गैजेट्स और सोशल मीडिया पर आसान पहुंच से मेल डेटिंग पार्टनर आसानी से मिलने लगे हैं। फुरकान ने हाल ही में पाकिस्तान में एचआईवी संक्रमणों संबंधी एक सर्वेक्षण को संकलित करने में मदद की है। इसमें करीब 39% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने मोबाइल ऐप की मदद से यौन सहयोगियों को ढूंढ़ा। अन्य विकासशील देशों में ऐप्स का इस्तेमाल एचआईवी वायरस का पता लगाने, उपचार तथा इसके बारे में जागरूकता फैलाने में किया जाता है। किंतु पाकिस्तान में एचआईवी और सेक्सुएलिटी के बारे में पब्लिकली बात नहीं की जाती। समलैंगिकता के बारे में बात करना भी वर्जित है, जिस कारण यौन संचारित रोगों के बारे में लोगों तक कोई जानकारी नहीं पहुंच पाती।
भारतीय टीवी शो से पता चला बीमारी के बारे में
41 वर्षीय यासीर (बदला हुआ नाम) परिवार के 10 सदस्यों के पालन-पोषण के लिए सात साल पहले यौन-कर्मी बने। बताते हैं कि इस रूप में चार साल बीत जाने के बाद उन्हें एचआईवी वायरस के बारे में पता चला, वो भी एक भारतीय टेलिविजन शो के माध्यम से। उनके अनुसार- जैसे ही मुझे इस बीमारी के बारे में पता चला, मैं टेस्ट के लिए तुरंत क्लिनिक में गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यासीर तीन साल से एचआईवी पीड़ित हैं। उनके क्लाइंट्स को कोई नुकसान न हो, इसके लिए उन्होंने कई रह के अन्य साधनों के बारे में जानकारी हासिल की। लेकिन उन्होंने अपने एचआईवी पॉजेटिव होने के बारे में किसी को नहीं बताया। उन्हें डर है कि दूसरे यौन कर्मी इस बात का इस्तेमाल उसे तंग करने के लिए कर सकते हैं, जिससे उसका काम प्रभावित होगा। मायूसी से कहते हैं- अगर मुझे पहले इस बीमारी के बारे में पता होता, तो मैं पहले ही कॉन्डम का उपयोग कर लेता। यूके और यूएस में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी चेतावनी दी है कि तकनीक से अन्य तरह की अन्यत्र संक्रमण दरों में भी वृद्धि हुई है। टिंडर और ग्रिंडर जैसे ऐप्स ने अज्ञात भागीदारों के साथ संबंध बनाना आसान कर दिया है। फुरकान के अनुसार- पाकिस्तान में समलैंगिकता और एचआईवी के बारे में खुलेआम बात करना अच्छा नहीं समझा जाता। ये भी तथ्य है कि पाकिस्तानी स्कूलों में यौन शिक्षा की कमी है, जिस कारण एसटीडी फैलाने का खतरा भी अधिक हो जाता है। उन्होंने बताया कि हाल ही में हुए सर्वेक्षण में ये भी सामने आया कि समलैंगिंक संबंधों में शामिल लोगों में केवल केवल 8.6 फीसदी लोग ही थे, जो कॉन्डम का इस्तेमाल करते हैं।
समाज में हमेशा रहे हैं ऐसे संबंध
पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर लाहौर में दोस्ताना मेल हेल्थ सोसाइटी जैसे एनजीओ एचआईवी के बारे में सलाह देते हैं। ये संगठन एलजीबीटी समुदाय और पुरुष यौन कर्मियों के लिए काम करता है। दोस्ताना में प्रोग्राम मैनेजर रजा हैदर के अनुसार- इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोबाइल ऐप और सोशल मीडिया ने यौन संचारित बीमारियों के प्रसार को बढ़ावा दिया है। हालांकि उन्होंने माना कि समाज में समलैंगिक संबंध हमेशा से रहे हैं, लेकिन ऐप्स और सोशल मीडिया ने अजनबियों के साथ संबंध स्थापित करना आसान बना दिया है। पुरुषों को इनके माध्यम से आसानी से अनजान पार्टनर मिल जाते हैं।
आसान ओता है ऐसे संबंधों को छिपाना
विवाह से बाहरी संबंधों के मुकाबले समलैंगिंग संबंधों को समाज में छिपाना आसान होता है। पुरुष और महिला को एक साथ कहीं देखकर लोग तुरंत शक की निगाह से देखने लगते हैं। लेकिन अगर दो पुरुष एक कमरे में भी हों, तो लोग ये सोचते हैं कि वे केवल दोस्त हैं।
अयान की कहानी…
अयान (बदला हुआ नाम) से सात साल पहले परिवार की देखभाल के लिए यौनकर्मी बना। बचपन में उसके पिता का देहांत हो गया था। परिवार में वही सबसे बड़ा था, इसलिए उस पर परिवार की जिम्मेदारी आन पड़ी। उसका सपना कॉलेज में पढ़ाई करना था। लेकिन इस काम में आने पर वो इसे पूरा नहीं कर सका। दो साल पहले उसे इस बीमारी के बारे में सुना। उसके बाद उसने पाया कि वे खुद उससे पीड़ित है। हालांकि अयान अभी भी इस धंधे में हैं। वे कहते हैँ ऐप्स और सोशल मीडिया ने उनकी लाइफ आसान ही नहीं बनाई, बलिक इस धंधे में होते हुए कई मुसीबतों से भी बचाया है। इससे कस्टमर ढूंढ़ना आसान हुआ है, जबकि पहले पुलिस हम पर नजर रखती थी और बचने के लिए रिश्वत तक देनी पड़ती थी। यहां तक कि फेसबुक जैसे मेनस्ट्रीम प्लेटफॉर्म्स भी इन कामों के लिए इस्तेमाल होते हैं। वे कहते हैं- हर ऐप डेटिंग एप है।
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