साल 1989 से 2018 के बीच हुई स्टडी में पता चला कि दक्षिणी ध्रुव का तापमान इन 29 साल में 1.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। जो बाकी दुनिया के तापमान के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। अध्ययन में यह भी पता चला कि अंटार्कटिका के बर्फीले पठारों पर तापमान गर्मियों में वैसे तो माइनस 20 डिग्री और सर्दियों में माइनस 60 डिग्री तक जाता है। मगर 20वीं सदी के आखिर से ये गर्म होना शुरू हो गया।
दक्षिणी ध्रुव पर स्थित पश्चिमी अंटार्कटिका का हिस्सा तेजी से गर्म हुआ है।यहां से कई ग्लेशियर पिघलकर समुद्र में बह गए हैं। हालांकि पूर्वी अंटार्कटिका का हिस्सा अब भी ठंडा है। शोधकर्ताओं के मुताबिक अंटार्कटिका के अलग-अलग हिस्सों के तापमान में अंतर होना उनके आसपास के समुद्री इलाकों पर बहने वाली हवाओं की वजह से हैं। इनमें प्रदूषण भी एक कारण है। दक्षिणी ध्रुव के टेम्परेचर पर होने वाले इन बदलावों पर वेलिंग्टन स्थित विक्टोरिया यूनिवर्सिटी की रिसर्चर काइली क्लेम और उनकी टीम ने 200 सिमुलेशन मॉडल तैयार किए हैं। जिसमें बताया गया कि कैसे साल 1989 से 2018 तक 29 वर्षों में ग्रीनहाउस गैसों की वजह से तापमान में 1 से 1.8 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हुआ है।