लंदन. दुनियाभर में हर साल तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। दिव्यांगों की संख्या भले ही बढ़ी हो मगर रोजाना ईजाद होती नई टेक्नोलॉजी उन्हें नया जीवन दे रही है। ऑक्सफोर्ड की रिपोर्ट में इसकी जानकारी मिली।
– 15 फीसदी दुनिया की आबादी दिव्यांग
– 3.9 करोड़ लोग अंंधेपन का शिकार
– 70 फीसदी अंधेपन के शिकार लोगों के पास 02 फीसदी रोशनी
-1.5 लाख लोग सुन और देख नहीं पाते
– 96 लाख लोग मानसिक विकलांगता के शिकार
काम मिलना हुआ आसान
– 40 फीसदी दिव्यांग लोगों कामकाजी विश्वभर में
– 70 फीसदी कंपनियां दुनियाभर में दिव्यांगों को रियायत दे रही काम में
– 30 फीसदी दिव्यांगों के पास पहुंची तकनीक, जिंदगी हुई आसान
स्मार्ट ग्लास
इस पहन बेहद कम रोशनी वाले देख पाते हैं। पास की वस्तु ब्राइट दिखती है। बाकी चीज काली हो जाती है। इससे पास की वस्तु दिखने लगती है।
टॉकिंग हैंड्स
यह हाथ के आकार का रबर का डिवाइस है। इसे पहनने से नेत्रहीन अक्षर समझ पाते हैं। सॉफ्टवेयर से कनेक्ट करने पर अक्षर बदले जा सकते हैं।
ब्लूटूथ मसल्स
जिनके हाथ नहीं उनके लिए हाथ के आकार की रोबोट तकनीक। इसे कंधे पर फिक्स करना पड़ता है। कंप्यटूर व स्मार्टफोन के ब्लूटूथ से कनेक्ट कर हाथ आर्टिफिशल हाथ का कंट्रोल संभव है।
आईगैज टैबलेट
लकवे की स्थिति में दिमाग और हाथ कम करने पर आंखों से टैबलेट चलाया जा सकता है। सेंसरयुक्त कॉन्टेक्ट लैंस पहनना पड़ता है। आंख बंद करने से तुरंत कंप्यूटर या टैबलेट बंद हो जाते हैं।