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Time Magazine: 16 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग चुनी गईं ‘पर्सन ऑफ द ईयर’

locationनई दिल्लीPublished: Dec 11, 2019 08:31:18 pm

Submitted by:

Anil Kumar

ग्रेटा थनबर्ग से पहले 25 साल के चार्ल्स लिंडबर्ग को 1927 में पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया था
ग्रेटा थनबर्ग का ‘हाउ डेयर यू’ भाषण काफी सुर्खियों में रहा था जो उन्होंने यूएन में दिया था

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न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण पर भाषण देकर दुनिया भर में सुर्खियां बटोरने वाली स्वीडन की 16 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग प्रतिष्ठित ‘टाइम मैगजीन’ के लिए 2019 का ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ चुनी गई हैं।

ग्रेटा यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत हैं। ग्रेटा थनबर्ग से पहले 25 साल के चार्ल्स लिंडबर्ग को 1927 में पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया था।

ग्रेटा ने दुनिया के तमाम दिग्गज हस्तियों को पछाड़कर ये खिताब अपने नाम किया है। बता दें कि ग्रेटा इस साल उस वक्त चर्चा में आई थीं जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में एक दमदार भाषण दिया था।

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ग्रेटा ने अपने भाषण में दुनियाभर के शक्तिशाली नेताओं पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से निपटने में नाकाम रहने और इस तरह नई पीढ़ी से विश्वासघात करने का आरोप लगाया था।

सबसे बड़ी बात कि इस कार्यक्रम में उस वक्त संयुक्त राष्ट्र के चीफ एंटोनियो गुटेरस भी मौजूद थे। इससे पहले ग्रेटा ने एक पर्यावरण पुरस्कार स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद से वह सुर्खियों में आ गई थी।

उन्होंने कहा था कि जलवायु अभियान में आवश्यकता इस बात की है कि सत्ता में बैठे लोग पुरस्कार देने के बजाए विज्ञान का अनुसरण शुरू करें।

मैग्जीन ने ग्रेटा की जमकर की तारीफ

‘पर्सन ऑफ द ईयर” चुने जाने पर मैगजीन ने ग्रेटा को लिखा, ‘साल भर के अंदर ही स्टॉकहोम की 16 साल की लड़की ने अपने देश की संसद के बाहर प्रदर्शन किया और फिर विश्वभर में युवाओं के आंदोलन का नेतृत्व किया।’

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मैगजीन ने आगे लिखा, पूरे यूरोप में ‘फ्राइडेज फॉर फ्युचर’ प्रदर्शन की अगुवाई की थी तो वहीं संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं के सामने उनका ‘आपकी इतनी हिम्मत’ भाषण काफी चर्चा में रहा।

मैगजीन ने ग्रेटा को यह सम्मान देने के पीछे तर्क देते हुए कहा, ‘ग्रेटा इस ग्रह के सबसे बड़े मुद्दे पर सबसे बड़ी आवाज बनकर उभरी हैं। ग्रेटा ऐक्शन की मांग करती हैं, उनका कहना है कि कई उपाय गलत दिशा में उटाए जा रहे हैं।’

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