ओबामा के फैसले को बताया गलत
अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस मामले में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के इस फैसले को एक भूल करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस डील से अमरीका के वैश्विक स्तर पर विश्वसनीयता खतरे में पड़ गई थी। प्रतिबंध का ऐलान के साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर न्यूक्लियर हथियारों को लेकर किसी देश ने ईरान की मदद की, तो उसके खिलाफ भी कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इसके पीछे ट्रंप का मकसद दुनिया में यह संदेश देना है कि अमरीका सिर्फ धमकी नहीं देता, बल्कि उस पर अमल करके भी दिखाता है।
अलग होने का निर्णय अमरीका के हित में
ट्रंप ने दावा किया कि इस न्यूक्लियर डील से अलग होना अमरीका के हित में है। इससे अमेरिका को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी। इससे पहले अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि वो इस न्यूक्लियर डील को 12 मई से आगे नहीं बढ़ाएंगे। उन्होंने सख्त लहजे में अपने यूरोपीय सहयोगियों से न्यूक्लियर डील की खामियों को दूर करने की अपील की थी।
न्यूक्लियर डील में बना रहेगा ईरान
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि उनका देश अमरीका के बिना भी इस न्यूक्लियर डील में बना रहेगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप के इस फैसले के बाद उत्पन्न स्थिति से पार पाने के लिए वो यूरोपीय देशों, रूस और चीन से बात करेंगे। ईरान का प्रयास है कि इस डील को जारी रखा जाए। ईरान आगे बढ़कर इस डील को खत्म नहीं करना चाहेगा। विश्व के ताकतवर राष्ट्रों की सहमति से ही यह डील हुआ था। अब अमरीका इससे अलग होकर ईरान पर अनावश्यक दबाव बनाने का इच्छुक है। अगर अमरीका ने ईरान पर अनावश्यक दबाव बनाने की कोशिश की तो हम परमाणु कार्यक्रम जारी रखने का ऐलान कर सकते हैं। राष्ट्रपति रूहानी ने कहा था कि अगर अमरीका न्यूक्लियर डील से अलग होता है, तो उसे उसको इसका पछतावा होगा।
नेतन्याहू ने बताया साहसिक फैसला
इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान न्यूक्लियर डील से अमरीका के अलग होने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस डील से अमरीका को अलग करने का ट्रंप का फैसला बिल्कुल सही और साहसिक है। इजरायल ने हाल ही में धमकी दी थी कि अगर ईरान व अन्य राष्ट्रों ने सीरिया को विद्रोहियों के खिलाफ अमानवीय कार्रवाई करने से नहीं रोका तो वो सीरिया को बर्बाद कर देगा।
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने जताई निराशा
फ्रांस राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों ने ट्रंप के इस फैसले पर दुख जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अमरीका इस मसले पर जल्दबाजी से बचना चाहिए था। अमरीका के इस फैसले से रूस, जर्मनी और ब्रिटेन ने भी निराशा जाहिर की है। चीन की अभी तक प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस मामले में चीन का रवैया संतुलित रहने का अनुमान है। ऐसा करना चीन के लिए मुफीद इस लिहाज से भी है कि छह देशों के बीच हुए इस करार से अलग होने की घोषणा अमरीका ने खुद की है। जबकि अन्य पांच देश इस डील को बनाए रखना चाहते हैं। ब्रिटिश सरकार ने भी इस बात की मंशा जाहिर की थी कि वो अमरीकी प्रशासन को इस बात के राजी करने की कोशिश करेगा कि वो इस मामले में जल्दबाजी न करे।