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2004 की सुनामी में बिछड़ी थी बेटी, 10 साल बाद माता-पिता के साथ जो हुआ वह अदभुत था

locationनई दिल्लीPublished: Nov 24, 2017 11:12:30 am

Submitted by:

Ravi Gupta

उनके बच्चे सूनामी के हज़ारों हताहतों की संख्या में कहीं गुम हो गए

Raudhatul Jannah

नई दिल्ली। “कुछ रिश्ते बनकर टूट गए कुछ जुड़ते-जुड़ते छूट गए”! कविता की यह लाइन इस कहानी में सटीक बैठती है। 2004 में हिंद महासागर के भूकंप और सुनामी इंडोनेशिया के सबसे बड़े प्राकृतिक आपदाओं में से एक था। 26 दिसंबर को, सबसे बड़े भूकंपों में से एक ने पूरे एशिया में भयावह सूनामी को ट्रिगर किया, यह इतनी बड़ी आपदा थी कि इसने कई समुदायों को अलग-थलग कर दिया। इस सुनामी में कम से कम 230,000 लोग मारे गए, और हजारों अन्य गायब हो गए थे। भूकंप का केंद्र आसे का प्रांत था, जिसने सबसे बुरी मार से 170,000 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। इस आपदा से कई परिवारों में अँधेरा छा गया था, जिसमें जमालिया नाम की एक महिला, उसका पति, सेप्ती रंगकुटी और उनके दो छोटे बच्चे शामिल थे। जब सुनामी अचानक आई तब वह, लहरों से आगे नहीं बढ़ सके और पानी में बह गए थे।

Tsunami

पिता ने अपने दो बच्चों, रौधातुल जन्नह, 4, और आरिफ प्रतामा रंगकुटी के साथ तैर रही एक लकड़ी के बोर्ड को पकड़ा दिया। वह उस घटना से जूझते-लड़ते किसी तरह खुद को बचाने में कामियाब रहे लेकिन अंत में हुआ यह सुनामी की लहरों नें सब तबाह कर दिया था, देखते ही देखते वह परिवार अलग हो गया। दोनों बच्चे अचानक उनके माता-पिता की नज़रों से ओझिल हो गए। जैसा कि सुनामी की क्षमता कम होती गई, माता-पिता ने एडी–चोटी का जोर लगाकर अपने बच्चों की तलाश की लेकिन उनके बारे में कहीं भी कोई संकेत नहीं था। वह उन्हें सालों ढूढ़ते रहे मगर कुछ हासिल नहीं हुआ।

Raudhatul Jannah

उनके बच्चे सूनामी के हज़ारों हताहतों की संख्या में कहीं गुम हो गए थे। एक दशक बाद माता-पिता ने अपने भाग्य को स्वीकार कर लिया और आगे बढ़ने की कोशिश में लग गए। उन्होंने किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं की। 2014 में एक दिन, जमालिया के भाई ने स्कूल से घर जाने वाली सड़क पर एक लड़की को देखा- और उसको देखकर उसे लगा की यह चेहरा जाना पहचाना है। उसके नैन नक्श हुबहू उसकी भांजी से मिलते थे। उसने सोचा अगर रौधातुल जिंदा होती तो आज की तारीख में इसी की तरह होती लगभग 14 साल की। यह असंभव लग रहा था लेकिन वह समानताओं को अनदेखा नहीं कर सका। इसलिए उसने लड़की के बारे में पूछताछ की और जब उसे उसकी कहानी सुनाई गई तो वह चौंक गया। उसे पता चला कि लड़की 10 साल पहले सूनामी में पड़ोसी द्वीप से बह कर आ गई थी। एक मछुआरे ने उसे बचाया और उसे अपने घर ले आया, उसे मछुवारे ने 80 मील दूर से उठाया, जहां से वह अपने परिवार से अलग हो गई थी। जमालिया का भाई यह सुनकर दंग रह गया उसको इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था, लेकिन यह सारी बातें वास्तव में सच थीं।

Raudhatul Jannah
यह रौधातुल ही थी। उसने अपनी बहन से कहा हमारे परिवार पर इश्वर की रहमत है बहन तुम सोच भी नहीं सकती मैं किससे मिल कर आ रहा हूँ। मैंने रौधातुल को देखा! वह जिंदा है। जमालिया को भी इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था। जब उसने अपनी बेटी को देखा तो जमालिया अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पाई उसे मनो ऐसा लगा उसकी खोई दुनियां उसे वापस मिल गई हो।
उसने बताया कि, “जब मैंने उसे देखा, तो मेरा दिल बहुत तेज धड़कने लगा।” “मैंने उसे गले लगाया और उसने मुझे वापस गले लगाया और मेरी बाहों में बहुत सहज महसूस करने लगी।”
मैं ऊपर वाले की बहुत आभारी हूं कि हमें 10 साल बाद अलग करने के बाद हमें वापस मिलाया इश्वर का हमपर करम हुआ और हम फिर मिल गए।” परिवार का कहना है कि वह रौधातुल के पालक माता-पिता के साथ करीबी रिश्ते बनाएंगे, जिन्होंने रौधातुल को बचाया था। रौधातुल का जीवन पूरा बदल गया, उनकी बेटी उन्हें वापस मिल गई, उन्हें इस बात की भी उम्मीद है की वह अपने बेटे से भी मिल जाए। इस विनाशकारी त्रासदी के एक दशक बाद, आखिरकार इस घर में आशा आ गई!

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