यहां मौजूद एक स्टाफ नर्स ने कहा कि “हम हताश हैं। हम अब आप पर विश्वास नहीं करते हैं। मैक्रोन का पिट्टी-सालिपेटरी अस्पताल के कर्मचारियों से सामना हुआ, इस दौरान नर्स ने कहा कि वह एक लंबे समय से बेकार सर्जिकल मास्क का उपयोग कर रही है। “ये यूरोप के लिए शर्म की बात है।”
इस पर राष्ट्रपति ने काउंटर किया कि यह सच नहीं है,लेकिन वह मुश्किल से एक शब्द ही निकाल पाए। यहां पर मौजूद स्टाफ ने अस्पताल की बदहाली पर कई प्रश्न उठाए। राष्ट्रपति की छवि को नुकसान न हो इस डर से यात्रा पर एक भी वीडियो, फोटो या रेडियो रिपोर्टर को अनुमति नहीं दी गई।
मैक्रॉन को इस दौरान राष्ट्रीय अस्पताल प्रणाली को सुधारने में गलतियों का ऐहसास हुआ। दुनिया के सबसे अमीर देश में अस्पतालों की हालत बेहद चिंताजनक है। कोरोना से लड़ने के लिए यहां पर स्टाफ, मास्क और श्वास मशीनों की कमी देखने को मिल रही है।
पेरिस अस्पताल नेटवर्क के प्रमुख मार्टिन हिर्श ने कहा कि महीनों से वे उपकरण के लिए कह रहे थे। अस्पताल के पास वायरस से लड़ने के लिए केवल तीन दिन का सामान है। यहां पर मार्च के माह में अचानक संक्रमण बढ़ जाने से मेडिकल सुविधाओं की कमी होने लगी। हालात यहां तक खराब हो गए कि फ्रांस को सेना की मदद लेनी पड़ी। मरीजों और डॉक्टरों को स्थानांतरित करने के लिए सेना के वाहनों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि फ्रांस में कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या 179,365 तक पहुंच है। वहीं मरने वालों का आंकड़ा 27 हजार के पार पहुंच चुका है।