इसका राजनीतिक हित से कोई लेना-देना नहीं
इस रिपोर्ट को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यूनेस्को ने जारी किया है। यूनेस्को की इंटरनेश्नल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट (आईएफजे ) की रिपोर्ट जारी होने के बाद इंटरनेशनल मीडिया ने यह सवाल उठाया कि कि इसमें कश्मीर को भारत के साथ विशेष रूप से क्यों लिखा गया है। क्या वह कश्मीर का पृथक अस्तित्व मानते हैं ? इस मुद्दे पर आईएफजे के दक्षिण एशिया समन्वयक उज्ज्वल आचार्य ने कहा कि इस मुद्दे का किसी खास राजनीतिक हित से कोई लेना-देना नहीं है। कश्मीर को इस रूप में इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि उसे दक्षिण एशिया के अस्थिर क्षेत्र में रखा गया है।
इस रिपोर्ट को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यूनेस्को ने जारी किया है। यूनेस्को की इंटरनेश्नल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट (आईएफजे ) की रिपोर्ट जारी होने के बाद इंटरनेशनल मीडिया ने यह सवाल उठाया कि कि इसमें कश्मीर को भारत के साथ विशेष रूप से क्यों लिखा गया है। क्या वह कश्मीर का पृथक अस्तित्व मानते हैं ? इस मुद्दे पर आईएफजे के दक्षिण एशिया समन्वयक उज्ज्वल आचार्य ने कहा कि इस मुद्दे का किसी खास राजनीतिक हित से कोई लेना-देना नहीं है। कश्मीर को इस रूप में इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि उसे दक्षिण एशिया के अस्थिर क्षेत्र में रखा गया है।
विरोध दर्ज
आईएफजे के आचार्य ने कहा कि पिछले वर्ष की रिपोर्ट में 5-6 संघर्ष जोन थे, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता , प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में अस्थिर थे। इस वर्ष कश्मीर पर खास ध्यान है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष हमने छत्तीसगढ़, काबुल, श्रीलंका पाकिस्तान और नेपाल के कुछ हिस्सों को शामिल किया था। उन्होंने कहा कि मीडिया की तरफ से उठाए गए सवालों के बाद भारत प्लस कश्मीर को लेकर विरोध दर्ज कर लिया गया है। इस ऐतराज को अब सक्षम प्राधिकारी के पास रखा जाएगा। आपको बता दें कि यूनेस्को प्रति वर्ष आईएफजे के माध्यम से प्रेस की स्वतंत्रता दिवस पर एक रिपोर्ट जारी करती है। इस रिपोर्ट में दुनिया के अशांत क्षेत्र को अलग से दर्शाया जाता है। चूंकि कश्मीर में बुरहान वानी की हत्या के बाद से अशांति का दौरे है। पत्थरबाजी की घटनाएं नियमित रूप से जारी है। इसलिए कश्मीर को रिपोर्ट में भारत प्लस के रूप में दर्शाया गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि उक्त क्षेत्र के अपना अलग अस्तित्व होता है। इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति है, जिसे दूर कर लिया जाएगा।
आईएफजे के आचार्य ने कहा कि पिछले वर्ष की रिपोर्ट में 5-6 संघर्ष जोन थे, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता , प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में अस्थिर थे। इस वर्ष कश्मीर पर खास ध्यान है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष हमने छत्तीसगढ़, काबुल, श्रीलंका पाकिस्तान और नेपाल के कुछ हिस्सों को शामिल किया था। उन्होंने कहा कि मीडिया की तरफ से उठाए गए सवालों के बाद भारत प्लस कश्मीर को लेकर विरोध दर्ज कर लिया गया है। इस ऐतराज को अब सक्षम प्राधिकारी के पास रखा जाएगा। आपको बता दें कि यूनेस्को प्रति वर्ष आईएफजे के माध्यम से प्रेस की स्वतंत्रता दिवस पर एक रिपोर्ट जारी करती है। इस रिपोर्ट में दुनिया के अशांत क्षेत्र को अलग से दर्शाया जाता है। चूंकि कश्मीर में बुरहान वानी की हत्या के बाद से अशांति का दौरे है। पत्थरबाजी की घटनाएं नियमित रूप से जारी है। इसलिए कश्मीर को रिपोर्ट में भारत प्लस के रूप में दर्शाया गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि उक्त क्षेत्र के अपना अलग अस्तित्व होता है। इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति है, जिसे दूर कर लिया जाएगा।