सीरिया मुद्दे पर ट्रंप और नेतन्याहू की बातचीत, ईरान को काबू में करने के उपायों पर चर्चा
अफगानिस्तान में कम होगी अमरीकी सेनाएक अधिकारी ने कहा कि सेना गर्मियों से बाहर हो सकती है, लेकिन कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है। युद्ध के कारण अमरीका पर संसाधनों का भारी दवाब है। बताया जा रहा है कि इसी दवाब ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लंबे समय से अफगानिस्तान से सैनिकों को खींचने के लिए प्रेरित किया है। इस साल की शुरुआत में रक्षा सचिव जिम मैटिस और अन्य सैन्य नेताओं ने तालिबान पर दबाव डालने और एक इस्लामी स्टेट के विद्रोहियों से लड़ने के लिए अफगानिस्तान में सैनिकों को बनाए रखने पर राजी किया था। लेकिन अब वाइट हाउस ने मन बना लिया है अमरीका में सेना की उपस्थिति में 50 प्रतिशत की कमी की जाएगी। बता दें कि नवंबर 2001 में अमरीकी सैनिकों ने अफगानिस्तान में 11 सितंबर के हमलवारों से निपटने के लिए हमला किया था।
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दवाब में अमरीकाबताया जा रहा है कि जबसे यह युद्ध शुरू हुआ है अमरीका ने 2400 से अधिक सैनिकों को खो दिया है। 17 साल के लंबे समय में अमरीका ने $ 900 बिलियन से अधिक खर्च किए हैं। बड़ा दें कि लंबे समय से तीन अमरीकी राष्ट्रपतियों ने अफगानिस्तान में शांति लाने और तालिबान को हिंसा की बजाय उन्हें शांति वार्ता का हिस्सा बनाने का वचन दिया है।अमरीकी राष्ट्रप्रमुखों ने अफगान सरकार में व्यापक भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए भी बहुत सी कोशिशें की हैं। यू.एस. और नाटो ने औपचारिक रूप से 2014 में अपने युद्ध मिशन को ख़त्म कर दिया लेकिन अमरीका और सहयोगी देशों के सैनिक इस्लामी राज्य समूह और तालिबान हमले का मुकाबला करने और अफगान सेना को प्रशिक्षित करने के लिए वहां डटे रहे। माना जा रहा है अब भी तालिबान विद्रोहियों के पास अफगानिस्तान के लगभग आधे हिस्से का नियंत्रित है। हाल के महीनों में तालिबान के साथ शांति वार्ता पर नया प्रयास किया गया है। अधिकारियों ने अब चिंता व्यक्त की है कि सैनिकों को वापस लेने के लिए कोई भी कदम उन संभावनाओं को कम कर सकता है। तालिबान को अब इस बात का इंतजार रहेगा इंतजार कर सकता है जब तक कि सेनाएं छोड़ने पर अंतराल का लाभ उठा सकें।
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