अमरीकी विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘इस बारे में कोई गलतियां ना करें। चार नवंबर के बाद से उन देशों के साथ मूलत: अलग नियमों से निपटा जाएगा जो ईरान के साथ आर्थिक गतिविधियों में लिप्त रहेंगे।’’ पोम्पिओ ने कहा, ‘‘चार नवंबर की समयसीमा से पहले कई फैसले लंबित हैं जिसमें कुछ देशों को संभावित छूट देने को लेकर भी फैसला होना है। हम इनमें से प्रत्येक पर काम कर रहे हैं।’’
पोम्पियो ने ईरान पर प्रतिबंधों पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘आप देख सकते हैं कि कई देशों ने चार नवंबर की समय सीमा से पहले ही ईरान के साथ व्यापार बंद करने और अपना धंधा समेटने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।’’ उन्होंने कहा कि ईरान की मिसाइल नीति बहुत संदिग्ध रही है। वह चोरी छुपे अपने परमाणु कार्यक्रम का विस्तार करता रहा है। पोम्पियो ने ईरानी नेतृत्व के साथ बातचीत करने को लेकर पूर्व विदेश मंत्री जॉन केरी को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, ‘‘केरी ने जो किया वह अनुचित और अप्रत्याशित था। पूर्व विदेश मंत्री दुनिया में आतंकवाद के सबसे बड़े प्रायोजक देश के साथ बातचीत कर रहे थे।” उन्होंने केरी के इस व्यवहार के लिए उनकी आलोचना करते हुए कहा कि यह अमरीका की नीति से बहुत अलग थी।
माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा कोई छूट ना दिए जाने से भारत पर इन प्रतिबंधों का काफी असर पड़ सकता है।भारत ईरान से सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। इस पेंचीदा मुद्दे पर भारत और अमरीका के बीच हुई 2+2 वार्ता के दौरान भी चर्चा हुई। दोनों देशों के राजनियक अधिकारी इन दोनों मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। इस सिलसिले में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अमरीका गए हैं। फ़िलहाल माना जा रहा है कि अमरीका भारत को कुछ छूट दे सकता है। भारत ने पहले ही साफ किया है किया है कि वह ईरान से तेल खरीदना कम कर रहा है।