अमरीकी कांग्रेस से जुड़ी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि रूसी निर्मित S-400 एंटी मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए अरबों डॉलर के भारत के सौदे को अमरीका भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है। इससे पहले S-400 एंटी मिसाइल सिस्टम को खरीदने को लेकर अमरीका तुर्की पर कड़े प्रतिबंध लगा चुका है। अमरीका का मानना है कि दुश्मन देश के साथ अरबों डॉलर का सौदा करना उनके हितों के खिलाफ है।
रूस ने तुर्की को दी S-400 की पहली खेप, इन खासियतों से लैस है ये मिसाइल
अमरीकी संसद के स्वतंत्र एवं द्विदलीय शोध निकाय ‘कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस’ ( CRS ) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इस बात को कहा गया है कि रूस निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के भारत के अरबों डॉलर के सौदे के कारण अमरीका ‘काउंटरिंग अमरीकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्संस एक्ट’ (पाबंदियों के द्वारा दुश्मनों का मुकाबला करने संबंधित कानून) के तहत भारत पर पाबंदियां लगा सकता है।
क्या है S-400 की खासियत?
आपको बता दें कि S-400 सतह से सतह पर सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली रूस की सबसे उन्नत मिसाइल सिस्टम है। पिछले महीने रूस ने एक बयान में कहा था कि अमरीकी पाबंदियों की धमकी के बावजूद S-400 मिसाइल प्रणाली की पहले खेप की आपूर्ति समेत वर्तमान रक्षा सौदों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है।
S-400 मिसाइल डील: नरम पड़ा अमरीका, कहा- प्रतिबंधों का मकसद मित्र देशों को नुकसान पहुंचाना नहीं
मालूम हो कि 5 अक्टूबर 2018 को 19वीं भारत-रूस सालाना द्विपक्षीय समिट में एस-400 सिस्टम के लिए भारत- रूस के बीच सौदा हुआ था। भारत ने 5 एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए रूस के साथ 5.43 बिलियन यूएस डॉलर ( 40 हजार करोड़ रुपए ) की डील की है। करार के मुताबिक, डिफेंस सिस्टम का पहला बैच भारत को 2021 के आखिर तक मिलना है।
अमरीका ने कई देशों को रूसी निर्मित मिसाइल S-400 को खरीदने पर पाबंदी लगा रखी है। अमरीका मानता है कि रूस ने अमरीकी मिसाइल का सामना करने के लिए S-400 सिस्टम का डिजाइन किया है।