उइगुर मानवाधिकार नीति कानून में चीन पर उसके उइगुर स्वायत्त क्षेत्र में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों में लाखों उइगुरों और मुख्य रूप से अन्य मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यकों की नजरबंदी भी शामिल है। इसमें चीन पर अमरीकी नागरिकों और अमरीकी क्षेत्र पर वैध स्थाई निवासी (एलपीआर) को डराने तथा धमकाने का भी आरोप लगाया गया है।
सीनेटर मार्को रुबियो के अनुसार- ‘बंदी शिविरों में लाखों उइगुरों की नजरबंदी और गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन तथा मानवता के खिलाफ संभावित अपराध के लिए अमरीका की ओर से निश्चित रूप से चीन सरकार में अधिकारियों और कम्युनिस्ट पार्टी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।’
सीनेटर बॉब मेनेनडेज ने कहा है कि- ‘राष्ट्रपति को चीन के प्रति स्पष्ट और सतत दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। उन्हें उन लाखों मुसलमानों के प्रति आंखें बंद नहीं कर लेनी चाहिएं। जिन्हें गलत तरीके से कैद में रखा गया और जबरन निरंकुश शासन के श्रमिक शिविरों में डाल दिया गया।’
डोनाल्ड ट्रंप और शी चिनफिंग में होगी मुलाकात
बता दें, अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग की इस महीने के अंत में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अर्जेंटीना में मुलाकात होगी। कानून का समर्थन करने वालों में सीनेटर कोरी गार्डनर, चक ग्रैसली, जॉन कॉर्निन, ईडी मार्की, रिचर्ड ब्लूमेंथल और एलिजाबेथ वारेन शामिल हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार- चीन ने कहा है कि 15 विदेशी राजदूतों ने अपनी राजनयिक भूमिकाओं से ऊपर उठकर देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों को बंदी शिविरों में नजरबंद करने के बारे में चिंता जाहिर करते हुए एक पत्र जारी किया है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि यदि राजनयिक पश्चिमोत्तर श्युनच्यांग क्षेत्र में स्थानीय अधिकारियों पर दबाव डालने का प्रयास करते हैं तो इससे ‘समस्या’ होगी।