साल 2015 में शुरू हुआ था कोर्स, अब बढ़ रही है डिमांड
बताया जा रहा कि इस कोर्स में शैतानी ताकतों का पता लगाना, प्रेतात्माओं से निजात पाने के अनुष्ठान की शिक्षा लेना और इसके साथ ही पादरियों के अनुभवों को सुनना आदि शामिल होगा। इस कोर्स की अवधि एक हफ्ते की होती है। ‘एंटाइटल्ड एक्सॉर्सिजम एंड द प्रेयर ऑफ लिबरेशन’ नाम के इस कोर्स की फीस करीब 24,000 रुपये है। इस कोर्स की शुरुआत 2005 में हुई थी। इस कोर्स में जादू-टोने के धार्मिक, मनोवैज्ञानिक और मानवशास्त्रीय पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा।
…तो बढ़ी कोर्स के लिए मांग
इस कोर्स की मांग करने वाले कई देशों के कैथोलिक पादरियों का कहना है कि उनके पास भारी संख्या में भूत-प्रेत से वशीकृत लोग आते हैं। इस मामले से जुड़े आकड़ों के मुताबिक इटली में हर साल करीब पांच लाख लोग जादू-टोने की मदद लेने आते हैं। इसके अलावा 2017 में ईसाई थिंक टैंक थियोस ने बताया था कि ब्रिटेन में भी इस चलन में तेजी आ रही है। पादरियों का मानना है कि अंधविश्वास और कुरीतियों के बढ़ने की वजह ईसाई धर्म में आ रहा पतन है।
इस वजह से होती है जादू-टोने की आलोचना
हालांकि कोर्स की डिमांड काफी बढ़ी है, लेकिन जादू-टोने के तरीकों की विश्वभर में आलोचना भी होती रहती है। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि इस तरह के जादू-टोने के धार्मिक रीति-रिवाजों में छोटे मासूम बच्चों पर कई भयानक प्रयोग किए जाते हैं। इसके अलावा बड़ों में भी जादू-टोने की पूजा के दौरान या उसके बाद लोगों के मौत की भी घटनाएं होती रहती हैं। कमजोरी, मिर्गी आदि के मरीजों का इस तरह के इलाजों में बरती गई छोटी सी लापरवाही भी खतरनाक साबित हो जाती है।