गवाहों का भी केस से पर्याप्त संबंध नहीं
तीसरे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मणि ने कहा अभियोजन पक्ष की तरफ से इन आरोपियों के खिलाफ मामले को पर्याप्त रूप से साबित नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में पेश किए गए गवाहों का भी इस अपहरण से पूरी तरह संबंध नहीं है। इस संवेदनशील मामले में कोर्ट ने 47 गवाहों को पेश किया गया था।
चंदन तस्कर वीरप्पन ने किया था अपहरण
चंदन तस्कर वीरप्पन ने 30 जुलाई 2000 को तमिलनाडु-कर्नाटक सीमा के गाजानुर गांव स्थित उनके फार्म हाउस से अभिनेता का अपहरण कर लिया था। इसके बाद करीब 100 से भी ज्यादा दिनों तक उन्हें थालावाड़ी के जंगलों में रखा गया। उन्हें 15 नवंबर को रिहा कर दिया गया था। वीरप्पन और उसके सहयोगी वर्ष 2004 में तमिलनाडु विशेष कार्य बल द्वारा मारे गए थे। इस केस के चलते तमिलनाडु और कर्नाटक में विवाद की स्थिति बन गई थी।
राजकुमार के नाम थीं कई उपाधियां
उनका मूल नाम सिंगानाल्लुरु पुट्टास्वाम्या मुथुराजू था। अभिनय के अलावा वे गायन का भी शौक रखते थे। अभिनय के क्षेत्र में उन्हें संस्कृति का आइकॉन माना जाता है। कर्नाटक में उन्हें नटा सार्वभौम यानी अभिनय का राजा, स्वर्णिम पुरुष, ईश्वर का तोहफा, वैश्विक शख्सियत जैसी कई उपाधियां मिली थीं।