CSE की रिपोर्ट में कहा गया है कि केपटाउन, बेंगलुरु और चैन्नई जैसे शहरों में ज्यादा कोई अंतर नहीं है लेकिन ऐसे विकसित शहरों में पानी की कमी एक समानता को प्रकट करती है। आज बेंगलुरु १० मेट्रोपोलिटन सिटी में से एक है लेकिन केपटाउन की तुलना में बहुत ही तेजी से ‘डे जीरो’ की ओर बढ़ रहा है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के ३६ प्रतिशत शहर २०५० तक जल की समस्या से जुझ रहे होगें और वर्तमान की तुलना में शहरी जल मांग ८० प्रतिशत बढ़ जाएगा। इसमें कहा गया है कि वर्तमान में ४०० मिलियन लोग ऐसे शहरों में रह रहे हैं जहां साल के १२ महीने पानी की कमी होती है और यह अनुमान लगाया गया है कि आने वाले दिनों में यह आंकड़ा बढ़कर एक बिलियन हो सकता है।
विश्व के 10 बड़े शहरों में है पानी की कमी
आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में बेंगलुरु के अलावा विश्व के अन्य १० शहरों में पानी की कमी के बारे में बताया है। जिसमें बिजींग (चीन), मेक्सिको सिटी (मेक्सिको), सन्ना (यमन), नैरोबी (कैन्या), इस्तांबुल (तुर्की), साव पाउलो (ब्राजील), कराची (पाकिस्तान), बुइनस आइरिस (आर्जेंटीना) और काबुल (अफगानिस्तान) शामिल है।
विशेषज्ञों के अनुसार बेंगलुरु में पानी की यह समस्या पिछले २ दशकों में और अधिक सिकुड़ गया है। भूजल के गिरते स्तर के लिए अनियोजित शहरीकरण जिम्मेदार है। रिपोर्ट के मुताबिक
World Water Day 2018 यहां पानी की तलाश से शुरू होती है लोगों के दिन की शुरुआत
शहरों में कचरे के निस्तारण की क्षमता का आधा हिस्सा ही उपयोग किया जाता है और बाकी कचरे को शहरों के नाले में बहा दिया जाता है, जिससे भूमिगत जल ज्यादा प्रदुषित होता है। लगातार भूमिगत जल के दोहन के कारण जलस्तर भी गिरता जा रहा है। हमारा भविष्य बहुत ही संकट ग्रस्त होगा। यह कल्पना करना असंभव है कि हम बिना पानी के जिन्दा कैसे रहेगें। आज भूमिगत जल का स्त्रोत लगभग ४५० मीटर अंदर चला गया है।
बता दें कि तमिलनाडू और कर्नाटका के कई शहरों को कावेरी नदी से पानी सप्लाई किया जाता है। अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की सुनवाई हुई है जिसमें दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से जल विवाद चला आ रहा था।
आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंगलुरु भारत का इकलौता शहर नहीं है जो पानी की कमी से जूझ रहा है। पूणे ऐसा ही एक शहर है, जो जल संकट की समस्या से ग्रस्त है। बेंगलुरु समेत दुनिया के विभिन्न शहरों में पानी की कमी वहां की वार्षिक वर्षा पर निर्भर करता है। पूणे जैसे शहर में ७५० एमएम वार्षिक वर्षा होती है। साथ हीं पानी की कमी वाले शहरों से गुजरने वाले नदियों में वर्ष भर जल नहीं रहता है, बल्कि वहां की नदियां मौसमी होती है।
संयुक्त राष्ट्र ने विश्व में पानी की कमी के बारे में चेतावनी देते हुए कहा है कि २०५० तक ५.७ बिलियन लोग पीने के पानी के संकट से जूझ रहे होंगे।