वैसे हम आपको सबसे पहले आप यह जरूर जानना चाहेंगे कि किसी मनुष्य के फिंगर प्रिंट, जीवित और मृतावस्था में कब तक कायम रहते हैं? तो इसका अंदाजा आपको एक अदभुत घटना के बारे में पढ़ने से लग जाएगा। रॉबर्ट फिलिप्स नाम के एक अपराधी ने तो अपने फिंगर प्रिंट मिटाने के लिए अपने सीने की त्वचा को सर्जरी के ज़रिए अपनी उंगलियों पर लगवा लिया था। लेकिन वो भी नाकाम हुआ और उसे हथेली पर मौजूद निशानों की मदद से पकड़ लिया गया।
अब आते हैं इस मुद्दे पर कि दुनिया में फिंगरप्रिंट्स की शुरुआत कैसे हुई! दरअसल इसकी शुरुआत दो हमशक्ल अपराधियों के बेहद अनोखे मामले के बाद हुई थी। आप जिस तस्वीर को देख पा रहे हैं उसमें बाईं ओर जो व्यक्ति है, उसका नाम विल वेस्ट है। दाई ओर विलियम वेस्ट है। दोनों के रंग-रूप में कोई अंतर नहीं है, क्योंकि दोनों भाई उन्हें देखकर अमेरिका के कंसास में जेल के अधिकारी-कर्मचारी भी हैरान रह गए थे। 1903 में जब विल वेस्ट को लिवेनवेस्ट जेल में लाया गया, तो रिकॉर्ड रखने वाले क्लर्क का कहना था कि उसे 2 साल पहले भी जेल में रखा गया था।
नाम की समानता से लेकर उनकी शक्लें भी मिलती जुलती थीं। जेल अधिकारियों के भी होश उड़ गए। इनकी असली पहचान करना काफी मुश्किल हो रहा था। इसके बाद अब इन दोनों में पहचान करने के लिए फिंगरप्रिंट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया। यह टेक्नोलॉजी इसकी असली पहचान करने में सफल हुई। इसके बाद से फिंगरप्रिंट लेने का चलन शुरू हो गया। धीरे धीरे हर जगह पर कैदियों के फिंगर प्रिंट लेने का नियम बन गया।