पहले फोटोग्राफी बाद में सिनेमाटोग्राफी
जेम्स वोंग ने अपने करियर की शुरुआत एक फोटोग्राफर के सहायक के रूप में शुरू की थी। जहां उन्होंने लाइटिंग, फ्रेमिंग और कैमरा मूवमेंट जैसी कैमरों की बारिकी को सीखा। जेम्स जिस फिल्म स्टूडियो में फोटोग्राफी सीख रहे थे वहां उन्होंने सिनेमाटोग्राफी भी सीख ली। बताते हैं कि जेम्स को फिल्म स्टूडियों में रहते हुए ही उनका झुकाव सिनेमाटोग्राफी की तरह हुआ। सिनेमाटोग्राफी के बूते ही जेम्स ने दुनिया में अपना नाम कमाया। उन्होंने सिनेमाटोग्राफी की दुनिया में कई प्रयोग किए जिन्हें लोगों ने काफी सराहा।
रंगभेद का करना पड़ा था सामना
जेम्स त्वचा से काले थे जिस वजह से उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा। अमरीका में रहते हुए उनके साथ रंगभेद जैसी चीजें हुई। ऐसा बताते हैं कि जब अमरीका में रंगभेद हो रहा था तो जेम्स के दोस्तों ने उनके साथ खेलने से भी मना कर दिया था। जेम्स की परवरिश बिना उनके किसी दोस्त के हुई। इसलिए उन्होंने सिर्फ 12 साल की उम्र में ही कैमरा खरीद लिया। जेम्स ने कैमरा सिर्फ एक खिलौना समझ के खरीदा था। लेकिन जेम्स को उस खिलौने से प्यार हो गया और वह 12 साल की उम्र से ही फोटोग्राफी करने लगे।
जेम्स वोंग होवे को असली पहचान फिल्म ड्रम्स ऑफ फेट (1923) और ट्रॉयल ऑफ द लोनसम पाइन (1923) से मिली। इन दोनों फिल्मों की सिनेमाटोग्राफी को काफी पसंद किया गया। इसके बाद 1926 में आई फिल्म पारामाउंट मैनट्रैप और लाफ (1928) ने जेम्स के काम को लोगों ने फिर एक बार सराहा। 1950 के दशक के अंत तक जेम्स अपने करियर के टॉप पर थे जहां उनकी हर फिल्म को पसंद किया जा रहा था। लेकिन खराब स्वास्थ्य के चलते उन्होंने काम करना कम कर दिया। और फिल्मों से किनारा कर दिया। 1976 में महान सिनेमेटोग्राफर जेम्स की मौत हो गई थी।