scriptकई देशों में चुनाव के बाद क्यों लंबा खिंच जाता है सरकार का इंतजार | Why waiting for government gets prolonged after elections | Patrika News

कई देशों में चुनाव के बाद क्यों लंबा खिंच जाता है सरकार का इंतजार

Published: Nov 22, 2020 07:59:56 pm

Submitted by:

pushpesh

-अमरीका में नवंबर के पहले सप्ताह में राष्ट्रपति के लिए वोट डाले जाते हैं। निर्वाचित राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति 20 जनवरी को पद की शपथ लेते हैं।

कई देशों में चुनाव के बाद क्यों लंबा खिंच जाता है सरकार का इंतजार

जटिल प्रक्रिया के कारण परिणाम में विलंब होता है

न्यूयॉर्क. अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों में विलंब फिर चर्चा में रहा। बाइडन के पक्ष में नतीजे आने के बाद भी जनवरी में वे शपथ ले सकेंगे। दरअसल ऐसा यहां की विकेंद्रित चुनाव प्रणाली के कारण होता है। यहां कभी भी मतदान के दिन सभी वोट नहीं डाले गए। कुछ और देशों में भी अंतिम वोट की गिनती तक काफी समय लगा है। जबकि ब्राजील सहित कई लोकतांत्रिक देशों में मतगणना जल्द पूरी कर ली जाती है। भारत में चुनाव के लगभग एक पखवाड़े में नई सरकार का गठन हो जाता है। अफगानिस्तान और इराक सहित कई देशों में धांधली के कारण मतगणना में हफ्तों या महीनों का समय भी लग जाता है। जबकि इजराइल, स्वीडन आदि देशों में मतगणना की जटिल प्रक्रिया के कारण परिणाम में विलंब होता है। कुछ जगह एग्जिट पोल से उभरी तस्वीर के बाद पार्टी मुखिया खुद को विजेता तक घोषित कर देते हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने 7 मई 2017 को चुनाव की रात खुद को विजेता बता दिया था। पिछले वर्ष 12 दिसंबर को चुनाव के अगले दिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन ने पार्टी की जीत की घोषणा कर दी।
इंडोनेशिया : 17 अप्रेल 2019 को एक ही दिन में इंडोनेशिया का चुनाव हुआ। 19.2 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले। लेकिन एक महीने से ज्यादा यानी 21 मई को विजेता जोको विडोडो को विजेता घोषित किया गया। 8 लाख मतदान केंद्र पर 60 लाख मतगणना कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई। लेकिन अमरीका के विपरीत यहां सार्वजनिक रूप से गिनती होती है। कई बार धांधली की शिकायत पर भी मतगणना में देरी होती है।
स्वीडन : 9 सितंबर 2018 में हुए चुनाव का परिणाम जानने के लिए लोगों को कई दिन लग गए। एक करोड़ की आबादी वाले देश में करीब 65 लाख मतदाताओं ने वोट डाले, जो 1985 के बाद सर्वाधिक थे। चुनाव के बाद शुरू हुई मतगणना 14 सितंबर तक खत्म नहीं हुई। अधिकारियों ने देरी की वजह अधिक मतदान व करीबी मुकाबले को बताया। किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने के कारण कई दिन तक राजनीतिक गतिरोध रहा।
इजराइल : इजराइल में राजनीतिक दलों को प्राप्त मतों के प्रतिशत के हिसाब से विधायिका में सीटें तय होती हैं। मतदान के दिन एग्जिट पोल को देखकर कई बार प्रत्याशी जीत की घोषणा कर डालते हैं। अप्रेल 2019 में ऐसा ही हुआ। चुनाव की रात ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के नेता बेनी गेंट्ज ने जीत की घोषणा कर दी। इसके तुरंत बाद पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी ऐसा ही किया। जैसे-जैसे मतगणना पूरी होने आई तो गेंट्ज ने खुद की हार स्वीकार कर ली।
अफगानिस्तान : तालिबान हिंसा, कम मतदान और धांधली के आरोपों के बीच 28 सितंबर 2019 को चुनाव हुए। परिणामों की घोषणा 17 अक्टूबर को कर दी गई, लेकिन बार-बार पुनर्गणना से देरी होती रही। आखिर इस वर्ष फरवरी में अशरफ गनी को आधिकारिक विजेता घोषित किया गया। हालांकि गनी और उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला दोनों ने खुद को विजेता घोषित किया। लेकिन मई में दोनों के बीच समझौता हो गया।
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