इंडोनेशिया : 17 अप्रेल 2019 को एक ही दिन में इंडोनेशिया का चुनाव हुआ। 19.2 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले। लेकिन एक महीने से ज्यादा यानी 21 मई को विजेता जोको विडोडो को विजेता घोषित किया गया। 8 लाख मतदान केंद्र पर 60 लाख मतगणना कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई। लेकिन अमरीका के विपरीत यहां सार्वजनिक रूप से गिनती होती है। कई बार धांधली की शिकायत पर भी मतगणना में देरी होती है।
स्वीडन : 9 सितंबर 2018 में हुए चुनाव का परिणाम जानने के लिए लोगों को कई दिन लग गए। एक करोड़ की आबादी वाले देश में करीब 65 लाख मतदाताओं ने वोट डाले, जो 1985 के बाद सर्वाधिक थे। चुनाव के बाद शुरू हुई मतगणना 14 सितंबर तक खत्म नहीं हुई। अधिकारियों ने देरी की वजह अधिक मतदान व करीबी मुकाबले को बताया। किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने के कारण कई दिन तक राजनीतिक गतिरोध रहा।
इजराइल : इजराइल में राजनीतिक दलों को प्राप्त मतों के प्रतिशत के हिसाब से विधायिका में सीटें तय होती हैं। मतदान के दिन एग्जिट पोल को देखकर कई बार प्रत्याशी जीत की घोषणा कर डालते हैं। अप्रेल 2019 में ऐसा ही हुआ। चुनाव की रात ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के नेता बेनी गेंट्ज ने जीत की घोषणा कर दी। इसके तुरंत बाद पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी ऐसा ही किया। जैसे-जैसे मतगणना पूरी होने आई तो गेंट्ज ने खुद की हार स्वीकार कर ली।
अफगानिस्तान : तालिबान हिंसा, कम मतदान और धांधली के आरोपों के बीच 28 सितंबर 2019 को चुनाव हुए। परिणामों की घोषणा 17 अक्टूबर को कर दी गई, लेकिन बार-बार पुनर्गणना से देरी होती रही। आखिर इस वर्ष फरवरी में अशरफ गनी को आधिकारिक विजेता घोषित किया गया। हालांकि गनी और उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला दोनों ने खुद को विजेता घोषित किया। लेकिन मई में दोनों के बीच समझौता हो गया।