रीजनल कॉम्प्रिहेन्सिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) के तौर पर 16 देशों के मंत्रियों ने रविवार को टोक्यो में मुलाकात की और आपसी मतभेदों को दूर करने के प्रयास किए गए। खास बात यह है कि इस गुट में भारत,चीन,जापान शामिल हैं जबकि अमेरिका नहीं है। इस तरह से अमरीका को इस गुट से दूर रखकर यह प्रयास किया जा रहा है कि एशियाई देश अपने दम पर अर्थव्यवस्था को सुधार सकते हैं।
सभी देश आम सहमति बनाने में लगे प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जापान के ट्रेड मिनिस्टर हिरोशिगे सेको का कहना है कि हम इस पर आम सहमति बनाने में लगे हुए। उन्होंने कहा कि एशियाई क्षेत्र के लिए यह महत्वपूर्ण हो गया है कि हम फ्री ट्रेड के तहत आगे बढ़ें। इस पार्टनरशिप में आसियान के 10 सदस्य देशों के अलावा दक्षिण कोरिया,ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड भी शामिल हैं। फिलहाल सभी देशों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिशें जारी है। सबसे बड़ी बाधाओं में से भारत की वह जरूरत भी शामिल है जिसके तहत मांग की जा रही है कि गुड्स एंड सर्विसेज पर टैरिफ्स को घटाने के किसी भी समझौते में लोगों को बिना रोकटोक आवाजाही की इजाजत भी मिलनी चाहिए।
मुफ्त आवागमन चाहता है भारत दरअसल, भारत अपने उच्च कुशल आईटी सेक्टर के लोगों के लिए इस तरह का मुफ्त आवागमन चाहता है। सिंगापुर के ट्रेड मिनिस्टर चान चुंग सिंग ने रविवार को कहा कि इस समय ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर जारी है। ऐसे में आरसीईपी पर आगे बढ़ने से अमेरिका पर ट्रांस पसिफ़िक पार्टनरशिप (टीपीपी) में फिर से शामिल होने का दबाव बढ़ सकता है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामानों पर लगाए गए टैरिफ को 6 जुलाई से प्रभावी होना है।