ऐसे करता है मोबाइल फोन में प्रवेश
शाफेकॉपी वारयस सामान्यत: बैटरीमास्टर जैसे एप्स के जरिए मोबाइल फोन में एंटर करता है। इसके बाद वह डिवाइस में एक गड़बड़ी वाला कोड चुपचाप लोड कर देता है। मोबाइल एप के एक्टिवेट होने पर यह वायरस वेब पेज पर वायरलेस एप्लीकेशन प्रोटोकॉल (WAP) बिलिंग के साथ क्लिक करता है। WAP मोबाइल पेमेंट का एक तरीका है जो सीधे ही यूजर के मोबाइल फोन बिल के जरिए पैसे वसूलता है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा होने के बाद यह वायरस मोबाइल फोन को कई सर्विसेज के लिए सब्सक्राइब कर देता है।
इतना शातिर है वायरस
एकबार सब्सक्राइब करने के बाद इस प्रोसेस में यूजर को एक डेबिट या क्रेडिट कार्ड रजिस्टर करने या एक यूजरनेम और पासवर्ड बनाने की जरूरत नहीं होती। यह वायरस इतना शातिर है कि मैलवेयर टेक्नोलॉजी का यूज कर उन ‘कैप्चा’ सिस्टम्स को भी मात देता है जो यह पुष्टि करते हैं कि ट्रांजेक्शन किसी यूजर की ओर से की जा रही है। कैप्चा सिस्टम में वेबसाइट कुछ अक्षर या संख्याएं दिखाती हैं जिन्हें यूजर को खुद भरना होता है।
दुनिया के 47 देश निशाने पर
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शाफेकॉपी वायरस दुनिया के 47 देशों में 4800 से अधिक यूजर्स को मात्र 1 महीने के अंदर निशाना बनाया है। इनमें से लगभग 40 फीसदी हमले भारत में हुए हैं। बताया गया है कि इनमें से बहुत से हमलों को कैस्परस्की ने पकड़ने के बाद ब्लॉक कर दिया है। भारत के अलावा इस वायरस ने रूस, तुर्की और मेक्सिको में भी लोगों को अपना शिकार बनाया है।