लॉकडाउन में किया प्रयोग धनीराम सग्गू रहने वाले हैं पंजाब के मोहाली जिले में जीरकपुर कस्बे के। निजी नौकरी कर रहे थे। कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन लगा तो नौकरी छूट गई। घर पर बैठ गए। फिर सोचने लगे कि क्या किया जाए। बचपन से तमन्ना थी लकड़ी की साइकिल बनाने की। सोचा चलो कुछ नया करते हैं, लकड़ी की साइकिल बनाते हैं। बस धुन सवार हो गई। जुट गए साइकिल बनाने में।
अपनी साइकिल का सामान प्रयोग किया धनीराम सगागू ने साइकिल की क्रियाविधि को समझा और काम शुरू कर दिया। अपनी पुरानी साइकिल के पैडल, रिम, सीट और साइड स्टैंड का प्रयोग किया। पहला डिजाइन तैयार करने में उन्हें करीब एक महीना लगा। दूसरे प्रयास में उन्होंने कैनेडियन वुड का इस्तेमाल किया जो काफी हल्की, सस्ती और टिकाऊ होती है। फिर बन गई साइकिल।
गरीबी के दंश से मुक्ति मिल रही धनीराम को लकड़ी की साइकिल पर चलता देख अन्य लोग भी मांग करने लगे। इसके बाद धनीराम ने साइकिलें बनाने का कारोबार शुरू कर दिया। अब तक 20 साइकिलें ग्राहकों को उपलब्ध करा चुके हैं। 20 साइकिलें बना रहे हैं। खास बात यह है कि अग्रिम ऑर्डर मिलने के बाद ही साइकिल बनाते हैं। उनकी आय बढ़ रही है तो रहन-सहन भी सुधरने लगा है। गरीबी के दंश से मुक्ति मिल रही है। धनीराम सग्गू की साइकिल को आत्मनिर्भर भारत के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। साइकिल की कीमत 15 से 18 हजार रुपये है।