दिवंगत एडीजे द्विवेदी मूलरूप से पीलीभीत जिले के पूरनपुर के रहने वाले थे। वह तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। रविवार को उनका विदाई समारोह होना था, लेकिन तबियत बिगड़ने के बाद कार्यक्रम को टाल दिया गया। इनके अलावा मरने वालों में एक 12 वर्षीय भी शामिल है। मुरादाबाद मंडल में यह पहला ऐसा केस है जिसमें कोरोना से किसी बच्चे की मौत हुई है। उधर, एडीजे की मौत से जजों व वकीलों में दुख व्याप्त है। कारण, अपर जिला जज सत्यप्रकाश द्विवेदी अपने फैसलों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने फास्ट ट्रैक कोर्ट में महिला उत्पीड़न और दहेज हत्या जैसे कई गंभीर धाराओं में दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
2016 में एडीजे बनकर आए थे बता दें कि 53 वर्षीय एसपी द्विवेदी 2016 में एडीजे बनकर आए थे। उन्होंने पद संभालते ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में महिला उत्पीड़न, दहेज हत्या मामलों में कई अहम फैसले सुनाए थे। उन्होंने महिलाओं के साथ ज्यादती पर सख्ती दिखाते हुए आरोपियों को उम्रकैद तक की सजाएं सुनाईं। आर्य समाजी और अधिवक्ता रमेश सिंह आर्य का कहना है कि उनका यहां पर कार्यकाल पूरा होने के बाद उनका तबादला उन्नाव हुआ था। उन्होंने कार्यभार छोड़ना था और उनके स्थानांतरण के चलते रविवार को आर्य समाज में विदाई समारोह रखा गया था। लेकिन इस बीच उनकी तबियत बिगड़ गई। जिसके चलते कार्यक्रम टालना पड़ा।