मुरादाबाद में दर्जनों एनजीओ बच्चों के लिए काम करते हैं। चाइल्ड लाइन नाम की सरकारी संस्था भी मुरादाबाद में बच्चों के लिए हर वक्त तैयार रहती है, लेकिन मुरादाबाद के सिविल लाइंस इलाके में कंपनी बाग के पास एक 8 साल की बच्ची अपने तीन साल के भाई को एक लकड़ी के तख्ते पर लिटाकर खींचती हुई नजर आर्इ। तख्ते में चार छोटे-छोटे लोहे के बैरिंग लगे हुए हैं। बच्ची के दाहिने हाथ में एक रस्सी है। इस रस्सी के सहारे वह अपने सोते हुए छोटे भाई को खींचती हुई ले जा रही है। बच्ची के बाएं हाथ में कुछ पाउच भी हैं।
जब हमने बच्ची को रोककर जब पूछा गया तो उसने बताया कि वह भुने हुए मटर, चने, नमकीन भुजिया के पाउच बेच रही है। इन्हें बेचकर वह अपना व अपने भाई का पेट भरती है। जब उससे पूछा गया कि उसके माता-पिता कहां हैं तो उसने बताया कि वह बिहार की रहने वाली है और मुरादाबाद में उसके पिता की तबीयत खराब हो गई है। उसकी मां उसका किसी अस्पताल में इलाज करा रही है। वह दिनभर ऐसे ही सामान बेचकर अपना गुजर-बसर करती है। बच्ची से इस तरह काम के बारे में पूछा गया तो उसने दो टूक कहा कि वह भीख मांगकर नहीं मेहनत करके अपना खर्चा चलाती है।
एक मासूम इस गर्मी और उमस भरे मौसम में अपने छोटे भाई को रस्सी के सहारे खींचकर जैसे-तैसे गुजर बसर कर रही है। लोग इस बच्ची पर तरस खाकर उससे नमकीन के पाउच खरीदकर उसकी मदद कर रहे हैं। लेकिन, मौके से गुजरने वाले अधिकारियों को शायद ये बच्ची नजर नहीं आ रही है। सवाल उठता है कि क्या ये बच्ची इसी प्रकार काम करती रहेगी या कोई एनजीओ इसकी मदद के लिए आगे आकर सरकारी मदद दिलवा पाता है।