युवक ने की कार हटाने की रिक्वेस्ट तो दबंग पुलिसवालों ने कर दिया ये हाल, देखें वीडियो
ऐसा है अंसारी का राजनीतिक सफर
पीतल कारोबारी और प्रॉपर्टी डीलर युसूफ अंसारी ने अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत कांग्रेस के टिकट पर मेयर का चुनाव लड़कर की थी । मेयर का चुनाव हारने के बाद हाजी अंसारी ने समाजवादी पार्टी में पहुंचकर 2012 के चुनाव में टिकट हासिल किया और जीत भी गए। विधायक रहते हुए काफी विवादों में रहने वाले यूसुफ अंसारी को लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा है। 2016 में हजारों लोगों ने उनके कार्यलय में घुसकर तोड़फोड़ की थी। आरोप था की उन्होंने मदरसे की जमीन भूमाफियाओं के हाथ बेच दी है। राशन डीलरों से वसूली के आरोप में यूसुफ अंसारी के भाई के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया था।
अब उत्तराखंड के सीएम बोले, ताजमहल में हनुमान चालीसा पढ़ने से नहीं होनी चाहिए दिक्कत
गौरतलब है कि संगठन में यूसुफ अंसारी का काफी विरोध है। ऐसे में इस चुनाव में उनकी राह आसन नहीं होने वाली है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के जिले के पदाधिकारी इस बार हिन्दू प्रतियाशी उतारना चाहते थे, लेकिन सपा के आलाकमान ने एक बार फिर मुस्लिम कार्ड खेलकर सपा के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन अंसारी के करीबी होने के नाते इन्हें टिकट दिया है। अहमद हसन पार्टी में बहुत सीनियर नेता है और अखिलेश के करीबी हैं। यूसुफ अंसारी ने 2017 में भी सपा से विधायक का चुनाव लड़ा था, जिसमें वह लगभग तीन हजार वोटों से हारगए थे।
सपा नेताओं ने इसलिए भी यूसुफ अंसारी पर भरोसा जताया है, क्योंकि शहर में मुस्लिम मतों के साथ ही अंसारी मतदाता बड़ी संख्या में हैं, जिनका फायदा उन्हें मिलेगा। वहीं, अब सपा से यूसुफ अंसारी का नाम आने के बाद सत्ता धारी भाजपा के आलावा कांग्रेस और बसपा पर भी अपने-अपने प्रत्याशी घोषित करने का दबाब बढ़ गया है।