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सपा से अंसारी को मिला मेयर का टिकट, कई के उम्मीदों पर फिरा पानी

locationमुरादाबादPublished: Oct 29, 2017 08:07:12 pm

Submitted by:

Iftekhar

पीतल कारोबारी और प्रॉपर्टी डीलर युसूफ अंसारी ने अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत कांग्रेस के टिकट पर मेयर का चुनाव लड़कर की थी ।

Haji Yoosuf Ansari

मुरादाबाद. मुरादाबाद महानगर से मेयर सीट के लिए समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक हाजी यूसुफ अंसारी को मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी इस बार निकाय चुनाव में फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रही है। यही वजह है कि महापौर के टिकट बंटवारे में पार्टी ने धर्म, जाति और सामाजिक दायरे का भी ध्यान रखा है। पार्टी के प्रत्याशियों के नामों के ऐलान से पूर्व रविवार सुबह सपा प्रदेश कार्यालय में पूरे सूबे से आए निकाय चुनाव प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने की। बैठक में चुनाव की रणनीति और प्रत्याशियों के चुनाव जीतने की संभावना पर भी चर्चा हुई। साथ ही इस चुनाव को विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी के घटे जनाधार को फिर से जनता के बीच स्थापित करने की चुनौती के रूप में माना जा रहा। प्रत्याशियों के नामों के ऐलान से पूर्व पार्टी ने जिलेवार नामों के प्रस्ताव मंगाए थे। उन पर चर्चा के बाद यह सूची फाइनल की गई है।

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ऐसा है अंसारी का राजनीतिक सफर
पीतल कारोबारी और प्रॉपर्टी डीलर युसूफ अंसारी ने अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत कांग्रेस के टिकट पर मेयर का चुनाव लड़कर की थी । मेयर का चुनाव हारने के बाद हाजी अंसारी ने समाजवादी पार्टी में पहुंचकर 2012 के चुनाव में टिकट हासिल किया और जीत भी गए। विधायक रहते हुए काफी विवादों में रहने वाले यूसुफ अंसारी को लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा है। 2016 में हजारों लोगों ने उनके कार्यलय में घुसकर तोड़फोड़ की थी। आरोप था की उन्होंने मदरसे की जमीन भूमाफियाओं के हाथ बेच दी है। राशन डीलरों से वसूली के आरोप में यूसुफ अंसारी के भाई के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया था।

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गौरतलब है कि संगठन में यूसुफ अंसारी का काफी विरोध है। ऐसे में इस चुनाव में उनकी राह आसन नहीं होने वाली है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के जिले के पदाधिकारी इस बार हिन्दू प्रतियाशी उतारना चाहते थे, लेकिन सपा के आलाकमान ने एक बार फिर मुस्लिम कार्ड खेलकर सपा के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन अंसारी के करीबी होने के नाते इन्हें टिकट दिया है। अहमद हसन पार्टी में बहुत सीनियर नेता है और अखिलेश के करीबी हैं। यूसुफ अंसारी ने 2017 में भी सपा से विधायक का चुनाव लड़ा था, जिसमें वह लगभग तीन हजार वोटों से हारगए थे।

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सपा नेताओं ने इसलिए भी यूसुफ अंसारी पर भरोसा जताया है, क्योंकि शहर में मुस्लिम मतों के साथ ही अंसारी मतदाता बड़ी संख्या में हैं, जिनका फायदा उन्हें मिलेगा। वहीं, अब सपा से यूसुफ अंसारी का नाम आने के बाद सत्ता धारी भाजपा के आलावा कांग्रेस और बसपा पर भी अपने-अपने प्रत्याशी घोषित करने का दबाब बढ़ गया है।

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