जीएसटी विरोधी मोर्चा के संयोजक हाजी अशरफ ने बताया, ‘पूरी दुनिया मुरादाबाद की पीतल नगरी के रूप में पहचान है, लेकिन आज इस पर संकट आ गया है। वो भी केंद्र सरकार की नीतियों के चलते।’ उनका कहना है कि पहले हस्तशिल्प उत्पाद स्टाम्प फ्री थे, निर्यातक टैक्स भरता था। लेकिन, जीएसटी के कारण सब पर टैक्स लग गया। हाजी अशरफ ने बताया कि पहले कच्चे माल पर कोई टैक्स नहीं था। लेकिन, अब वहीँ से टैक्स लग रहा है, जिसका लेखाजोखा मजदूर नहीं भर सकता। हाजी अशरफ के मुताबिक, मुरादाबाद में छोटे- बड़े मिलाकर करीब 15 हजार कारखाने होंगे और इससे करीब 15 लाख लोगों की रोजी रोटी जुड़ी हुई है। लेकिन, जीएसटी के कारण घरों में चलने वाली भट्टियां बंद पड़ी हैं। पीतल दस्तकार बिना मजदूरी के बेकार हैं और उनका परिवार भी संघर्ष कर रहा है। हाजी अशरफ का यह भी कहना था कि सरकार को इस उद्योग को प्रोत्साहन देना चाहिए था, क्योंकि इससे देश को विदेशी मुद्रा मिलती है। लेकिन, इससे अलग सरकार ने इसे भी जीएसटी में ला दिया। लिहाजा, पीतल उद्योग पर संकट के बादल छा गए हैं।
विरोध प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में पीतल दस्तकार ईदगाह मैदान पहुंचे और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान एक मांग पत्र जीएसटी काउंसिल को भी भेजने का फैसला लिया गया। बता दें मुरादाबाद में जीएसटी को लेकर पहले भी निर्यातकों ने अपनी समस्याएं सरकार और उनके प्रतिनिधियों को जताई थी। इसके बावजूद जीएसटी से कोई भी राहत अभी तक पीतल उद्योग को नहीं मिली है।