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पढ़ाई के साथ बन रहीं आत्मनिर्भर
अक्सर जब आप किसी सरकारी स्कूल की तस्वीर समझते हैं तो बदहाल बिल्डिंग और उदासीन बच्चे और निरश शिक्षक। लेकिन ये अब दिमाग से निकाल दीजिये। जी हां अगर आप छजलैट ब्लॉक के राजकीय इंटर कॉलेज में पहुंचेंगे तो यहां बड़ी ही बेबाकी से छात्राएं आपसे आंखों में आंखे डालकर बात करेंगी। क्लास में पढ़ाई के साथ ही ये छात्राएं सिलाई मशीन पर पैडल मारती और बड़ी ही तेजी से सिलाई और कढ़ाई का काम करती नजर आएंगी।
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प्रोजेक्टर से सीखी सिलाई
इन छात्राओं को क्लास में प्रोजेक्टर के माध्यम से सिलाई और कढ़ाई सिखाई जा रही है। ये हुनर स्कूल में फ्री में दिया जा रहा है। ताकि ये बच्चियां अपने भविष्य के लिए किसी पर निर्भर न रहें। खुद छात्राएं बड़े ही आत्मविश्वास से बताती हैं कि के वे दस बीस मिनट में एक जूट का थैला तैयार कर लेती हैं और सलवार सूट भी बहुत जल्दी तैयार कर देती हैं। स्कूल के बाद गांव में और भी लड़कियों को सिलाई सिखाती हैं ये लड़कियां।
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मकसद जागरूक करना
स्कूल में पढ़ने वाली जीनतमंजली और आकांक्षा बताती हैं कि पॉलिथीन से हमारे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। इसलिए हम लोगों को जागरूक करने के साथ जूट के थैले तैयार कर लेते हैं।
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ये था सपना
कॉलेज के प्रधानाचार्य अनुज अग्रवाल का कहना है कि वह छात्राओं को रोजगार परक शिक्षा देने के साथ ही साथ स्वच्छ पर्यावरण के लिये कुछ करना चाहते थे। इसी सोच को लेकर उन्होंने स्कूल में एक प्रोजेक्टर लगाया और यूट्यूब के माध्यम से छात्राओं को सिलाई सिखाई। छात्राओं को जूट के थैले बनाने सिखाये । अब छात्राएं सिलाई में इतनी निपुण हो चुकी है। कम समय मे बहुत अच्छे जुट के थैले सिल लेती है। छात्राओं द्वारा तैयार जूट के थैलो को गंगा समिति बृजघाट से और हरिद्वार के मनसा देवी श्राइन बोर्ड से बात कर टाईअप नो प्रॉफिट नो लॉस पर सप्लाई किया जा रहा है। और प्रदेश और केंद्र सरकार की भी मंशा है कि पॉलीथिन का प्रयोग रोका जाये। इसलिए उन्होंने कॉलेज की छात्राओ के साथ मिलकर यह स्वच्छ पर्यावरण के लिये यह पहल की है।