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Teacher”s day 2018:ये योग गुरु इन गरीब बच्चों की इस तरकीब से बदल रही तकदीर

locationमुरादाबादPublished: Sep 02, 2018 10:08:18 am

Submitted by:

jai prakash

सामान्य घरों के बच्चों के बजाय कामगारों के बच्चों को पढ़ाई करवाने के साथ साथ उन्हें आत्मनिर्भर भी बना रही हैं।

moradabad

Teacher”s day 2018:ये योग गुरु इन गरीब बच्चों की इस तरकीब से बदल रही तकदीर

मुरादाबाद: कहते हैं कि बिना गुरु के जीवन में तरक्की पाना असम्भव है। इसलिए खुद महापुरुषों ने भी गुरु को भगवान् बराबर संज्ञा दी है। जिसमें कहते हैं कि “गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागे पांव,बलिहारी गुरु आपनी गोविन्द दियो बताय”। इसी तर्ज पर हर साल पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसलिए भी कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन का जन्मदिन भी इसीदिन है इसलिए इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। हमारे आस पास भी बहुत सारे ऐसे कई उदाहरण हैं जो वाकई समाज में एक प्रेरक गुरु के रूप में दिखाई देते हैं। कुछ यही उदाहरन महानगर की दो महिला योग प्रशिक्षक भी कर रहीं हैं। जो सामान्य घरों के बच्चों के बजाय कामगारों के बच्चों को पढ़ाई करवाने के साथ साथ उन्हें आत्मनिर्भर भी बना रही हैं।

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यहां चल रहा केंद्र

शहर के रामगंगा विहार इलाके में डॉ रूपा घोष और डॉ महजबीं परवीन योग एवं नेचुरोपैथी केंद्र बीते कई सालों से चला रहीं हैं। लेकिन इन दिनों इनके केंद्र पर बच्चों की भीड़ देखकर हर कोई हैरान है। जब उसे कारण समझ आता है तो दोनों को इस जज्बे के लिए सलाम करता है। जी हां दोनों ने काम ही कुछ इस तरह का किया है। अपने केंद्र पर दोनों कामगारों,मजदूरों के बच्चों को निशुल्क पढ़ाने के साथ उनका स्कूल में दाखिला,उनके कपडे से लेकर आम दिनों की जरूरत को अपने स्तर से पूरा कर रहे हैं। उनके इस पुनीत कार्य में अब समाज का भी योगदान मिल रहा है।

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बच्चे काफी हैं खुश

केंद्र पर पिछले एक साल से आ रही सपना दसवीं में पहुंच गयी है। कहती है कि एक साल में उसका जीवन पूरी तरह बदल गया। अब वो आगे चलकर डॉक्टर बनना चाहती है। उसे यहां से हर तरह का सपोर्ट मिलता है। कुछ यही कहानी और बच्चों की भी है। शुरू में इनके माता पिता को शक भी हुआ। लेकिन आज माता पिता भी अपने बच्चों को लेकर गंभीर हैं।

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ये है सपना

केंद्र संचालिका डॉ महजबीं परवीन बताती हैं कि ये विचार इसलिए मन में आया कि सामान्य घरों के बच्चों के लिए तमाम स्कूल और संसाधन हैं। उन्हें हर तरह का सामाजिक सपोर्ट भी रहता है। लेकिन समाज के बीच रहने वाले इस तबके के बारे में कोई नहीं सोचता जबकि इन बच्चों में भी मेहनत कूट कूट के भरी है। कुछ बच्चों से शुरू ये कारवां अब 60 के पार पहुंच गया है। डॉ महजबीं बताती हैं कि इनकी शिक्षा से लेकर अब हर तरह के क्रियान्वयन में इन बच्चों की प्रतिभा सबके सामने आ रहा है। उनका मकसद उन्हें भविष्य में अपने पैरों पर खड़ा होने के साथ समाज का जिम्मेदार नागरिक भी बनाना है।

 

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