मुरादाबाद. बैंक और पुलिस भले ही लोगों को कितना भी सजग करते रहें लेकिन शातिर ठग हर कोशिश को बेकार बताकर भोले भाले लोगों को अपना शिकार बना ही लेते हैं। कुछ ऐसा ही मामला शहर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है। यहां ठगों ने एसएसपी निवास के पास ही अपना ऑफिस बनाकर 250 […]
मुरादाबाद. बैंक और पुलिस भले ही लोगों को कितना भी सजग करते रहें लेकिन शातिर ठग हर कोशिश को बेकार बताकर भोले भाले लोगों को अपना शिकार बना ही लेते हैं। कुछ ऐसा ही मामला शहर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है। यहां ठगों ने एसएसपी निवास के पास ही अपना ऑफिस बनाकर 250 से अधिक लोगों को चूना लगाकर रातोंरात गायब हो गए। अब ठगी पब्लिक ने इन्साफ के लिए पुलिस से गुहार लगाईं है।
दरअसल महानगर में ठगी का कारोबार जोरों पर है। डेढ़ महीने में महानगर के 250 लोगों को लोन दिलाने के नाम पर उनसे लाखों रुपये ठग लिए गए। जब लोग डिमांड ड्राफ्ट लेकर बैंक पहुंचे तो उन्हें ठगी का पता चला। सिविल लाइंस थाने में शिकायत करने पर पुलिस ने मकान मालिक को हिरासत में लिया है।
लोगों के मुताबिक डेढ़ महीने पहले समाचार पत्रों में प्रथम फाइनेंस कंपनी का एक विज्ञापन छपा था। कार्यालय लासा मार्ट के पास चंद्रपाल की बिल्डिंग में था। कंपनी के मालिक अलीगढ़ के बन्नादेवी थानाक्षेत्र के बीमा नगर निवासी विनोद बताए गए। वह बुध बाजार स्थित होटल में रहते थे। कार्यालय में दो महिलाओं समेत आठ लोग काम करते थे। जिगर कॉलोनी निवासी नाजमीन मालिक की खास थीं। पूरे कार्यालय का काम वही देखती थीं।
खुशहालपुर निवासी रजनी, वरबलान निवासी फरजाना, रहमत नगर निवासी आमना, सम्भल के नक्खासा निवासी फाजिल, अख्तर, महरुन्निशा समेत 250 लोगों ने कंपनी में संपर्क किया. तो उन्हें लोन देने का आश्वासन दिया गया. सभी से 5000 रुपये सर्वे शुल्क और 3000 रुपये स्टांप शुल्क मांगे गए. सभी से वादा किया गया था कि उन्हें जरूरत के अनुसार लोन दिया जाएगा. डिमांड ड्राफ्ट लेते समय 20 फीसद रकम विनोद को देनी होगी. शनिवार को विनोद ने 250 लोगों को विजया बैंक का डिमांड ड्राफ्ट दिया और सभी से निर्धारित रकम भी ले ली।
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सोमवार को जब सभी ड्राफ्ट लेकर बैंक पहुंचे तो बैंक कर्मियों ने उसे फर्जी बताया। इसके बाद वे कंपनी के कार्यालय पहुंचे, जहां ताला लगा हुआ था। काफी देर तक जब कोई नहीं मिला तो लोगों ने मकान मालिक से संपर्क किया। जानकारी मिली कि शनिवार की शाम कार्यालय बंद कर विनोद और कंपनी के सभी लोग चले गए। पुलिस ने चंद्रपाल को हिरासत में ले लिया। उसने बताया कि उसने 15,000 रुपये में भवन का ऊपरी हिस्सा किराए पर दिया था। इससे ज्यादा उसे नहीं पता। फ़िलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आपको बता दें कि इससे पहले भी फर्जी फाइनेंस कम्पनी बनाकर सैकड़ों लोगों को ठग चूना लगा चुके हैं। बावजूद इसके ये धंधा फलफूल रहा है।