महज़ 12 घंटों में सड़क हो गई गड्ढामुक्त
दरअसल, बुधवार को कस्बा मसवासी के तिर्लोकपुर गांव ने एक बेटी की बारात आनी थी। बारिश के खराब मोशम की बजह से सड़क के गढ्ढों में पानी भरा हुआ था। इसकी वजह से शादी समारोह में आने वाले मेहमानों को दिक्कत न हो, इसलिए गांव वालों ने एक दिन पहले सड़क के गड्ढ़े भरने के लिए कारसेवा करने का फैसला लिया। इसके बाद लोगों ने गड्ढा भरने का मन बनाकर काम शुरू किया। गांव में जिसके पास ट्रैक्टर था, वह ट्रैक्टर ट्रॉली ले आया, जिसके पास कुछ नहीं था। वह अपने साथ फावड़ा लेकर सड़क पर काम करने चला आया। इस दौरान जिससे जिस तरह बना वह कारसेवा में सहयोग करते रहे । शाम तक दर्जनों ट्रैक्टरों और गाँव के लोगों की कारसेवा से पूरी सड़क गढ्ढा मुक्त हो गई।
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लोग बोले-सरकारों का क्या काम
शादी समारोह के लिए इस गाँव के लोगों ने अपने गाँव की सड़क के गड्ढे खुद भर लिए । इस गांव के ग्रामीणों के हौसले देखर सभी की जुबान पर एक ही बात है कि सरकारों का क्या काम है। गुस्साए लोगों का कहना है कि विधानसभा से लेकर देश की पार्लियामेंट में किसानों के हित की बात होती है। उसके गांव की चर्चा होती है। बड़े-बड़े बिल सड़कों के नाम पर पास होती हैं। लेकिन, असल में गांव तक विकास पहुचता ही नहीं है। लोगों का कहना है कि बहुत कम ही विकास गांव तक पहुंचता, बाकी सब कागजों में दब कर रह जाता है।
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कारसेवा की पुरानी है यहां की परंपरा
आज़ादी से पहले और आजादी के बाद यानी अब तक रामपुर ज़िले में कारसेवा की एक मिसाल हमेशा देखने को मिलती रही है। इसी ज़िले के संत बाबा ने बिलासपुर तहसील में एक नहीं,बल्कि दर्जनों पुल उस वक़्त लाखों की रकम से बनाये गए थे। इलाकाई लोग उस बाबा का साथ देते थे ओर कारसेवा में जुट जाते थे। आज भी उनके बनाये हुए पुल खराब नहीं हुए हैं। इलाकाई लोग आज भी इन पुलों का इस्तेमाल कर रहें हैं।