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हरिद्वार या बृजघाट ले जाते हैं अस्थियां
मुरादाबाद में लोग अस्थि विसर्जन के लिए अस्थि कलशों को हरिद्वार या बृजघाट ले जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते वाहनों की आवाजाही बंद होने से परिजन इंतजार करने को मजबूर हैं। हिन्दू मान्यताओं में मृतक शरीर का अंतिम संस्कार करने और अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा रही है। अब कोरोना वायरस के चलते आजकल लोगों के सामने अजीब परेशानी उतपन्न हुई है। अंतिम संस्कार के तीसरे दिन परिजन श्मशान घाट से अस्थियों को अस्थि कलश में लेकर गंगा में प्रवाहित करने ले जाते हैं। लॉकडाउन के चलते मृतकों के परिवार के सदस्य अस्थियां लेकर गंगा तक नहीं पहुंच पा रहें है। लिहाजा अस्थियों को श्मशान घाट में ही रखा गया है। श्मशान घाट में अस्थियों को रखने के लिए बनाये लॉकर जहां भर चुके है, जिसके बाद कई लोग स्थानीय नदियों में भी अस्थियां प्रवाहित कर रहें है।
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परिजन अभी कर रहे हैं इन्तजार
श्मशान घाट की व्यवस्थाओं को देखने वाले के सी शर्मा के मुताबिक पहले के मुकाबले लोग अब अस्थियां प्रवाहित करने के लिए इंतजार कर रहे हैं। मझोला क्षेत्र स्थित लोकोशेड मोक्षधाम में बनाये लॉकरों में कई अस्थि कलश विसर्जन का इंतजार कर रहें है। हरिद्वार और ब्रजघाट तक जाने के लिए वाहन की अनुमति नहीं है। लिहाजा लोगों ने अपने मृतक परिजनों के अस्थि कलश को अभी रोक कर रखा है। जनपद के ज्यादातर श्मशान घाटों में यही स्थिति है। रोजाना चार से पांच शवों का अंतिम संस्कार होता है। कुछ परिजन ज्यादा देर होने पर स्थानीय नदियों में अस्थि विसर्जन कर अंतिम संस्कार की क्रिया को पूरा कर रहें है, लेकिन ज्यादातर लोग मृतकों को मोक्ष दिलाने के लिए गंगा में अस्थि कलश प्रवाहित करने का इंतजार कर रहे हैं। फ़िलहाल उनका ये इन्तजार अभी और लम्बा होगा ये कह पाना मुश्किल है।