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ये काम हुआ शुरू
इस फार्मूले के तहत ट्रेन लेट होते ही चालक ट्रेन की गति को बढ़ा देगा और जब ट्रेन निर्धारित समय पर चलने लगेगी तो स्पीड कम कर देगा। इसके लिए रेलवे ट्रैक पर आने वाली बाधाओं को दूर किया जा रहा है। इसी सिलसिले में रेल प्रबंधन ने मानव रहित फाटक पर गेट बनाने, मुरादाबाद रेल मंडल में 230 किलोमीटर रेलवे लाइन बदलने और 23 कमजोर पुलों के स्थान पर नए पुल बनाने का काम शुरू कर दिया है।
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हर रूट पर स्पीड है निर्धारित
यहां बता दें कि रेलवे ने हर रूट पर ट्रेनों की स्पीड निर्धारित कर रखी है। इसके बावजूद ट्रेनें उस गति से नहीं चलती हैं। जैसे नई दिल्ली से लखनऊ जाने वाली लखनऊ मेल को 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने की अनुमति है, लेकिन अभी यह ट्रेन 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ही चलती है।
पहले ड्राईवर बचते थे
दुर्घटना होने पर इंजन के स्पीडो मीटर की जांच की जाती है, अधिकतम गति से चलने वाली ट्रेन का स्पीडो मीटर 115 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की रिपोर्ट देता है। इस रिपोर्ट के आधार रेल प्रशासन ट्रेन ड्राईवर की सेवा समाप्त कर देता है। लिहाजा ड्राईवर ट्रेन को 95 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ही चलाते हैं। रेल लाइन बदले जाने व नए पुल का निर्माण होने के बाद भी गति से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है। इसलिए ट्रेनों की स्पीड 75 किलोमीटर प्रति घंटे ही रह जाती है।
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अब बढ़ा सकते हैं स्पीड
अब रेलवे ने चालकों को अधिकतम गति से ट्रेन चलाने का आदेश दिया है। जिस मार्ग पर 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की अनुमति है, वहां स्पीडो मीटर पर 115 किलोमीटर प्रति घंटे से ट्रेन चलाने की रिपोर्ट देने पर चालक को सजा नहीं दी जाएगी। ट्रेन के लेट होने पर ड्राईवर स्पीड को 75 से बढ़ाकर 110 किलोमीटर प्रति घंटा कर सकते हैं।