आपको बता दें कि खास बात यह है कि इससे पहले वह भी आम अधिकरियों की तरह अपने कर्तव्य को निभा रहीं थीं, लेकिन 2012 में मुरादाबाद में पोस्टिंग के दौरान उन्हें पर्वातारोहण का शौक हुआ। लेकिन कुछ समय बाद वह आईटीबीपी में पोस्टेड हो गईं। लेकिन आईटीबीपी में आने के बाद भी उन्होंने अपने शौंक को जिंदा रखा और औली ट्रेनिंग सेंटर उन्होंने अपनी अभ्यास किया। इसके बाद 2013 से उन्होंने पवर्तारोहण और ट्रैकिंग का सफर शुरू किया।
अपर्णा कुमार के पति कमीश्नर संजय कुमार बताते हैं कि मुश्किलें तो तमाम आईं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाली प्रथम आईपीएस बन गईं। इसके साथ ही बताया कि दक्षिणी ध्रुव की यात्रा के दौरान नाक पर बर्फ की वजह से फ्रॉस्ट बाइट यानी नाक से खून निकलने लगा, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखी और सफल हुईं। इसके साथ ही अपर्णा को कई और उपलब्धि हासिल हैं। अपर्णा इसके अलावा देश और दुनिया की अलग-अलग ऊंची और दुर्गम पहाड़ियों पर तिरंगा फहरा चुकीं हैं।
आज अपर्णा को एडवेंचर के क्षेत्र में देश का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान मिलने पर उनके पति अजय कुमार ने भी खुशी जताई। उन्होंने कहा कि जो काम महिलाओं के लिए नामुमकिन समझा जाता है। उन्होंने गर्व जताते हुए कहा कि वह भारत की करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। सबसे दुर्गम और बर्फिली चोटियों पर जाना एक अदम्य साहस का प्रतीक है, जो नारी शक्ति का बी परिचायक है।