scriptlockdown: हाइवे ही नहीं जल्द पहुंचने के लिए मजदूरों ने रेलवे लाइन का लिया सहारा, बोले अभी घर है 200 किलोमीटर और दूर | Labour come back home by foot after lockdown | Patrika News

lockdown: हाइवे ही नहीं जल्द पहुंचने के लिए मजदूरों ने रेलवे लाइन का लिया सहारा, बोले अभी घर है 200 किलोमीटर और दूर

locationमुरादाबादPublished: Mar 27, 2020 05:12:34 pm

Submitted by:

jai prakash

Highlights -दिल्ली-गाजियाबाद से हजारों मजदूर आ रहे शहर की ओर -रेलवे लाइन को जल्दी पहुँचने के लिए चुना -पिछले 24 घंटों से पैदल चलकर पहुंचे और अभी 200 किलोमीटर और जाना है -पुलिस ने रेलवे स्टेशन पर खिलवाया खाना

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मुरादाबाद: कोरोना वायरस से निपटने के लिए पूरे देश में एक साथ लॉकडाउन कर गया था, जिसका आज छठा दिन है। वहीँ अब इस लॉकडाउन की कई दर्दनाक तस्वीरें भी सामने आ रहीं हैं। दिल्ली, गुडगांव, नॉएडा में बड़ी संख्या में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार व उत्तराखंड के मजदूर काम करते हैं। अचानक लॉकडाउन होने और फैक्ट्रियां बंद होने के बाद सब भविष्य की चिंता में सामान और बोझा लादकर पैदल ही गांव की ओर चल दिए। नेशनल हाइवे 24 पर तो हजारों की संख्या में पैदल ही मजदूर चल पड़े हैं, वहीँ जल्द घर पहुँचने के लिए कुछ ने रेलवे लाइन का सहारा लिया। कुछ ऐसा ही नजारा कुन्दरकी रेलवे लाइन पर दिखा यहां आधा दर्जन परिवार कुछ देर आराम करने के लिए पटरी पर बैठ गए। जब स्थानीय लोगों को अपनी पीड़ा सुनाई तो सभी द्रवित हो गए। सभी परिवार दिल्ली में मजदूरी करते हैं और बदायूं पैदल ही जा रहे थे। पुलिस ने सभी को कुन्दरकी स्टेशन लाकर खाना खिलवाया और भेजने का इंतजाम कर रही है।

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रेलवे लाइन चुनी ताकि जल्दी पहुंचे
रेलवे लाइन पर थके हारे और जिन्दगी की आस में बैठे इन आधा दर्जन परिवारों को जिसने भी देखा वो मानो अंदर तक हिल गया। ये सभी गाजियाबाद से रेलवे लाइन के सहारे ही बदायूं के लिए चल दिए। ताकि जल्दी घर पहुंच सकें। बीते 24 घंटे से चलते हुए आज मुरादाबाद के कुन्दरकी कसबे से गुजर रही रेल लाइन पर कुछ देर आराम करने रुक गए। जिस पर स्थानीय लोगों ने हालचाल पूछ खाने-पीने का इंतजाम किया। पुलिस अब इनको बदायूं तक भेजने का इंतजाम कर रही है। क्यूंकि शासन से आदेश हैं कि बेसहारा मजदूरों को उनके गन्तव्य तक प्रशासन पहुंचाए। इन लोगों ने बताया कि जिस फैक्ट्री में काम करते थे वो बंद हो गयी। रहने का कोई ठिकाना नहीं था, खाने-पीने की भी दिक्कत हो गयी। अब जिन्दा रहने के लिए गांव लौटने के अलावा कोई चारा नहीं था।

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हजारों मजदूर हाइवे पर
बहरहाल मजदूरों के काफिलों का आना जारी है। दिल्ली लखनऊ हाइवे से लेकर देहरादून लखनऊ हाइवे की भी हालात यही है। हजारों मजदूर कोई सहारा और साधन न मिलने से पैदल ही अपने गांव- कसबे की ओर चल दिए हैं।

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