MBA और M.Com पास शहर के नालों व नालियों की करेंगे सफाई, जानिए क्यों
Highlights:
-युवाओं ने पढ़ाई करने के बाद किसी बड़े संस्थान में प्रबंधन और अहम जिम्मेदारी निभाने का सपना संजोया था
-अब हालात से समझौता करने का ही विकल्प सामने था
-ये मामला लोगों के बीच चर्चा का विषय भी बना हुआ है
मुरादाबाद। शहर के नालों और नालियों की सफाई अब MBA और M.Com पास युवा करेंगे। ऐसा सुनकर आप चौंक गए होंगे। लेकिन ये सच है। युवाओं ने पढ़ाई करने के बाद किसी बड़े संस्थान में प्रबंधन और अहम जिम्मेदारी निभाने का सपना संजोया था लेकिन, हालात से समझौता करने का ही विकल्प सामने था। बेरोजगारी से परेशान और सफाईकर्मी के पद पर तैनात पिता का सिर से हाथ उठने के बाद युवाओं ने शहर में सफाई करना बेहतर समझा। जिसके बाद ये लोगों के बीच चर्चा का विषय भी बना हुआ है।
सात लोगों को आश्रित कोटे में मिली नौकरी दरअसल, नगर निगम ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले दो युवाओं समेत सात लोगों को मृतक आश्रित कोटे में सफाई कर्मचारी पद पर नियुक्ति दी है। नौकरी पाने वालों में एक युवा एमबीए तो दूसरा एम.कॉम पास है। इंद्रा चौक निवासी स्व. सतीश की नगर निगम में सफाई कर्मचारी पद पर तैनाती थी। जिनकी कई माह पहले मृत्यु हो गई। वहीं मृतक सतीश के पुत्र रोहित पांच से सात साल तक नौकरी तलाशते रहे, पर कहीं कुछ नहीं हो सका। इसके बाद उसने अपने पिता की जगह ही नौकरी के लिए प्रपत्र नगर निगम में जमा किए। वह सत्यापन में एमबीए पास मिला।
बेरोजगारी से सफाई कर्मी की नौकरी अच्छी नियुक्ति पत्र देने से पहले जब नगर आयुक्त संजय चौहान ने पूछा कि तुम उच्च शिक्षा प्राप्त हो, सफाई कर सकते हो तो रोहित का जवाब था, बेरोजगारी से सफाई कर्मचारी की नौकरी ही अच्छी है। उसने बताया कि 2014 में एमबीए करने के बाद से उसे किसी भी कंपनी में नौकरी नहीं मिल रही।
झाड़ू थामने का विकल्प बुरा नहीं वहीं दूसरा मामला नागफनी निवासी स्वर्गीय रामौतार के पुत्र गोविंद का है, जो कि एमकॉम पास है। उसका भी कहना है कि कई वर्ष तक उसने किसी बड़ी कंपनी में नौकरी के लिए चक्कर काटे, लेकिन कुछ नहीं हो सका। जिसके बाद उसने भी अपने पिता के स्थान पर सफाई कर्मचारी बनना मंजूर किया। नगर आयुक्त ने जब उससे भी उक्त सवाल किया तो गोविंद ने कहा कि नौकरी नहीं मिली तो झाड़ू ही थामने में क्या बुराई है। काम तो आखिर काम होता है।
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