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अब तक डेढ़ दर्जन मौतें हो चुकी
यहां बता दें कि पिछले दो सालों में कुत्तों के काटने से डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। मुरादाबाद जनपद के कुंदरकी थाना क्षेत्र स्थित काजीपुरा गांव में रहने वाले मजाहिर की सूनी आंखे उस दर्द को बयां कर जाती है, जो उनको कभी ना भूलने वाला जख्म दे गई है। ढेड़ साल पहले मजाहिर की मासूम बच्ची सोफिया को आवारा कुत्तों के झुंड ने घेर लिया और उसे बुरी तरह नोंच कर घायल कर दिया था। मजाहिर जब तक सोफिया को इलाज दिला पाते तब तक सोफिया ने दम तोड़ दिया।
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दर्जनों रोज हो रहे शिकार
मुरादाबाद जनपद में आवारा कुत्तें ढेड़ दर्जन बच्चों को मौत की नींद सुला चुके है। गली-गली झुंड बनाकर लोगों पर हमला करने वाले इन आदमखोरों के हमले से आज भी हर दिन दर्जनों लोग घायल हो रहे है। जिला अस्पताल में जनवरी से अब तक छत्तीस सौ लोग अपना इलाज करा चुके है जबकि पिछले साल अकेले जिला अस्पताल में ग्यारह हजार लोगों का इलाज कराया गया।
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नगर निगम ने संभाली कमान
आदमखोर कुत्तों के हमले से दहशत में जी रहे लोगों को राहत देने के लिए अब नगर निगम ने कमान संभाल ली है। नगर निगम अगले एक साल में लगभग चालीस हजार से ज्यादा आवारा कुत्तों की नसबंदी कराने जा रहा है। नागफनी स्थित बंग्ला गांव में बने सफाई गोदाम को नसबंदी के लिए तैयार किया जा रहा है। वातानुकूलित ऑपरेशन थियेटर में हर रोज पचास कुत्तों की नसबंदी कराई जाएगी।
इतना आयेगा खर्चा
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक एक कुत्तें की नसबंदी पर निगम आठ सौ साठ रुपये खर्च करेगा और नसबंदी के बाद एक सप्ताह तक कुत्तों को वातानुकूलित हॉल में ही रखा जाएगा। कुत्तों की नसबंदी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम तैयार की जाएंगी। आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर निगम अभियान चला रहा है और कुत्तों को पकड़ने का काम जारी है।
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एक साल में स्थिति सुधारने का दावा
नगर निगम अगले एक साल में आवारा कुत्तों की तादात को नियंत्रित करने का दावा कर रहा है लेकिन कुत्तों की नसबंदी को लेकर तमाम चुनौतियां भी है। सबसे बड़ा सवाल तो यह की नगर निगम शहर में मौजूद कुत्तों की नसबंदी कराएगा लेकिन देहात क्षेत्रों में घूम रहे आवारा कुत्तों पर कौन रोक लगाएगा।